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सद्कर्म करके ही आत्मा परमात्मा बनती है : साध्वी ज्योति प्रभा
दोपहर सामयिक की पचरंगी तथा पुच्छिंस्सु णं स्तोत्र की क्लास मे सैकड़ों बहनों ने लिया भाग
भीलवाडा। (पंकज पोरवाल)। शास्त्रीनगर अहिंसा भवन मे चातुमार्थ विराजित साध्वी ज्योति प्रभा ने प्रवचन धर्म सभा मे श्रृद्वालुओं को धर्म उपदेश प्रदान करतें हुए कहा कि सद्कर्मों के माध्यम से आत्मा की शुद्धि होती है, और यह मोक्ष (मुक्ति) की ओर अग्रसर होती है। मोक्ष वह अवस्था है जहाँ आत्मा संसार के बंधनों से मुक्त होकर परमात्मा के साथ मिल जाती है। यह मार्ग आध्यात्मिक अभ्यास, ध्यान, भक्ति, और सेवा, जिनवाणी के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। साध्वी ऐश्वर्य प्रभा ने कहां की जीवन में कितनी भी बाधाएँ आएं, व्यक्ति को साधना का मार्ग नहीं छोड़ना चाहिए।
साधना, चाहे वह ध्यान, प्रार्थना, योग, या किसी अन्य आध्यात्मिक अभ्यास के रूप में हो, व्यक्ति को आंतरिक शांति, संबल और धैर्य प्रदान करती है। महासाध्वी मनोहर कंवर ने चैपाई के माध्यम से फरमाया कि साधना के मार्ग पर निरंतरता और समर्पण ही व्यक्ति को अंततः आत्म-साक्षात्कार और परमात्मा की अनुभूति की ओर ले जाती है। अहिंसा भवन के मुख्य मार्गदर्शक अशोक पोखरना ने बताया कि इस दौरान चितौड़गढ़, कोटा, टोंक, अजमेर, आदि क्षेत्रों से दर्शनार्थ पधारें अतिथियों का अहिंसा भवन के अध्यक्ष लक्ष्मणसिंह बाबेल, हेमंत आंचालिया, मंत्री दिनेश मेहता,हिम्मत सिंह बापना, अमर सिंह संचेती, अमर सिंह बाबेल, कुशलसिंह बुलिया, जसवंत सिंह डागलिया और चंदनबाला महिला मंडल की अध्यक्षा नीता बाबेल, संरक्षिका मंजु पोखरना, उमा आँचलिया, मंत्री रजनी सिघंवी, मंजु बापना कांता छाजेड़, कोषाध्यक्ष सुनीता झामड़, अनु बापना, सरोज मेहता आदि सभी ने अतिथियों और तपस्या करने वालो का स्वागत किया। दोपहर सामयिक की पचरंगी तथा पुच्छिंस्सु णं स्तोत्र की क्लास मे सैकड़ों बहनों ने भाग लिया।