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मालपुरा की नगर पालिका किस मोह में बनी हुई है धृतराष्ट्र ?बिल्डिंग मजबूत लेकिन श्रमिकों के जीवन की डोर कमजोर क्यों ?
मालपुरा (टोंक) –
महाभारत काल में धृतराष्ट्र ने पुत्र मोह में राजकाज पर ध्यान नहीं दिया लेकिन मालपुरा की नगर पालिका किस मोह में धृतराष्ट्र बनी हुई है? शहर में पालिका प्रशासन को अनियोजित व अनियंत्रित तरीके से निर्माणाधीन बहुमंजिला इमारतें दिखाई नही दे रही है। किसी भी शहर की प्रगति और समृद्धि की पहचान वहां की इमारतें होती है। निश्चित तौर से मालपुरा शहर में बन रही बहुमंजिला इमारतें शहर की खुशहाली का प्रतीक मानी जा सकती है।
लेकिन अनियोजित और अनियंत्रित विकास का एक अर्थ शहर का सत्यानाश भी होता है और मौजूदा दौर में नगरपालिका की अनदेखी बिल्डर्स और भूमाफिया के साथ मिलीभगत तथा नियम कायदे कानूनों की धज्जियां उड़ाते हुए खुलेआम बिना अनुमति और स्वीकृति के विकास के नाम पर यह बेतरतीब इमारतें निश्चित रूप से कल शहर वासियों के लिए सिर दर्द ही साबित होंगी।
जो व्यवसायिक बहुमंजिला इमारतें बन रही हैं। उन्होंने अपने आसपास पार्किंग की कोई जगह नहीं छोड़ी है। प्लांटेशन का कोई स्थान नहीं है। ओपन स्पेस न के बराबर है। यह बहुमंजिला इमारतें आवासी हो अथवा कमर्शियल नगरपालिका की अनुमति और स्वीकृति के बिना नियम कायदों को दरकिनार कर धड़ल्ले से बनाई जा रही है लेकिन नगर पालिका प्रशासन इसकी तरफ आंख मूंदे हुए बैठा है।
निर्माण कार्य के नियमों की बात करे तो एक निश्चित क्षेत्रफल यानी गरीबी आवास से बड़ा निर्माण कार्य करने के लिए नगर पालिका परिषद, राजस्व विभाग और नगर तथा ग्राम निवेश की अनुमति की आवश्यकता होती है। जिसमें इमारत का बाकायदा नक्शा पास होता है। उसे निर्धारित शुल्क देकर नगरपालिका से अनुमोदित कराना पड़ता है। किसी भी बहुमंजिला इमारत का निर्माण नगरपालिका द्वारा दी गई अनुमति और स्वीकृत नक्शे के हिसाब से ही करना पड़ता है और निर्माण के बाद इसकी रिपोर्ट भी प्रस्तुत करनी पड़ती है कि इमारत अब बनकर तैयार है और इसके निर्माण
में नगर पालिका की अनुमति और स्वीकृति के अनुसार ही काम करवाया गया है। उसी के हिसाब से नगर पालिका संबंधित इमारत में संपत्ति कर (टैक्स) निर्धारित करती है। जो स्थानीय निकाय की आमदनी का एक बड़ा जरिया होती हैं। लेकिन पिछले कुछ दिनों से और मौजूदा दौर में ही शहर के कई इलाकों में बहुमंजिला इमारतों का निर्माण चल रहा है।
वही शहर के जागरूक नागरिकों ने बताया कि अनियोजित विकास शहर के भविष्य के लिए हितकर नही है। नगर पालिका प्रशासन को सख्त रवैया अपनाना चाहिए। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग की परमिशन के अनुसार ही व्यवसायिक इमारतों का निर्माण होना चाहिए। साथ ही शहर में निर्माणधीन बहुमंजिला इमारतों के कार्यों में लगे मजदूरों की सुरक्षा के इंतजाम भी न के बराबर है।
अमूमन यह देखने में आता है कि जहां पर निर्माण कार्य के दौरान हादसे हो रहे हैं । वहां न तो निर्माण में लगे कर्मचारियों की सुरक्षा का ख्याल रखा जा रहा है और न ही मानकों की पालन हो रही है। ऐसे ही कई मामले मालपुरा शहर में देखने को मिल सकते है। यहां पर काम करने वाले मजदूरों के लिए सुरक्षा के उपकरण आधे अधूरे ही है। मालपुरा शहर में कई स्थानों पर निजी इमारतों का निर्माण कार्य चल रहा है।
लेकिन इन स्थानों पर सुरक्षा मानकों की अनदेखी हो रही है। ऐसे में मजदूरों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है। निर्माण कार्य में लगे मजूदरों की सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम नजर नहीं आ रहे हैं। लेकिन श्रम विभाग को चल रहे निर्माण कार्य में लापरवाही नजर नहीं आ रही है । सुस्त पड़ा श्रम विभाग कभी इन निर्माण स्थलों पर जांच करने नहीं निकलता है। जबकि इन स्थानों पर श्रम विभाग के नियम का उल्लंघन तथा मजदूरों का शोषण हो रहा है। ठेकेदार के द्वारा श्रम विभाग को सूचना देना होता है कि मजदूर किस स्थान पर कार्य करेगा। कितने श्रमिक उसके पास काम करेंगे।
लेकिन कभी अधिकारी इस लाइसेंस की जांच करने नहीं आते हैं। 10 श्रमिकों का पंजीयन कराया जाता है, लेकिन निर्माण स्थल पर अधिक श्रमिकों से काम कराया जा रहा है। श्रमिकों व उनके परिवार के लिए श्रम विभाग से जो भी योजना शुरु की जाती है, उसका लाभ भी इन श्रमिकों व उनके परिवार को नहीं मिल पाता है। कई मजदूर काम नहीं मिलने के डर से ठेकेदार के खिलाफ बोलने से कतरा रहे हैं।