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“जंगल में मंगल: टाइगर नगरी का नगरीकरण”
कभी मेरे शहर को लोग चारागाह कहा करते थे। गाय-भैंस, बकरी और इंसान सभी मिल-जुलकर रहते थे। न कोई डर, न कोई खतरा। ज़िंदगी में थोड़ी धूप थी, थोड़ी छांव, और बहुत सारा धैर्य। लेकिन अब? अब मेरा शहर जंगल बन चुका है — और ऐसा जंगल जहाँ शेर, टाइगर और भेड़िए बाकायदा “पास” लेकर घूमते हैं।
अब यह कोई सामान्य जंगल नहीं है, बल्कि यह स्मार्ट जंगल है — जिसमें हर टाइगर के पास दबंगता का लाइसेंस है और हर पेड़ पर एक कैमरा लगा है कि कहीं कोई इंसान जंगल के नियम तो नहीं तोड़ रहा। नियम सख्त हैं — बोलना मना है, सुनना जरूरी नहीं, और सहना अनिवार्य है।
कभी हमारे शहर में जब झाड़ियों की जगह झोपड़ियां बनती थीं, तो लोग कहते थे – “देखो, विकास हो रहा है!” अब जब झोपड़ियों की जगह झाड़ियाँ वापस आ गई हैं, तो कहा जाता है – “देखो, प्राकृतिक संतुलन लौट रहा है!” इस संतुलन को बनाए रखने के लिए हमारे प्रिय नगरीय निकाय हरदम तैयार रहते हैं — पीले पंजे के साथ। गरीब की झोपड़ी दिखी नहीं कि पंजा चलाया और जंगल की रक्षा की शपथ दोहराई।
टाइगर अब शहर के पर्यावरण रक्षक हैं। उनकी दहाड़ें अब राष्ट्रीय संपदा मानी जाती हैं। टाइगर की नज़र पड़ जाए तो समझो — आपकी किस्मत चमकी… या जल गई। कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि दोनों ही सूरतों में आप खबर बन ही जाएंगे।
अब शहर में चिर-शांति का आलम है। किसी को रोने की, सिसकने की, या सवाल पूछने की भी मनाही है। क्योंकि अगर आपने किसी टाइगर की मर्जी के खिलाफ कुछ कहा, तो समझिए आपने जंगल के संविधान का अपमान किया। और जंगलराज का संविधान, संविधान से बड़ा है।
हमें गर्व है कि हमारे शहर के टाइगर इतने दयालु हैं कि अपने कुनबे के लिए भरपूर पानी जमा कर रखा है। चारों ओर पानी ही पानी है — इंसान प्यासा मर जाए, चलेगा… लेकिन टाइगर पसीने से भी भीग जाए, ये बर्दाश्त नहीं होगा। आखिर जंगल की सुरक्षा के लिए पानी जरूरी है। और सुरक्षा का मतलब है — टाइगर की सत्ता को कोई चुनौती ना मिले।
हमारे जंगल में अब सब कुछ व्यवस्थित है — डर भी, दहशत भी और दमन भी। जो बचा है, वो बस एक ही चीज़ है — मानवता। लेकिन उसकी ज़रूरत किसे है? जब जंगल है, टाइगर हैं, और पीला पंजा है — तो फिर इंसान की क्या ज़रूरत?
और आखिर में एक सुझाव — अगर आप भी इस जंगल में रहना चाहते हैं, तो एक ही मंत्र याद रखिए:
“चुप रहो, झुके रहो, और टाइगर की जय बोलते रहो”।
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लेखक: एक पूर्व नागरिक, वर्तमान में जंगल का प्राणी 🐾 (व्यंग्य लेख)