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नाम की नगर पालिका, विकास कार्यों के दावे खोखले, पार्षदों को अपने स्वार्थ की चिंता, भाड़ में जाए जनता

नाम की नगर पालिका, विकास कार्यों के दावे खोखले, पार्षदों को अपने स्वार्थ की चिंता, भाड़ में जाए जनता

कल नगर पालिका प्रशासन की साधारण सभा की बैठक होना प्रस्तावित है। उससे पहले पालिका प्रशासन का ध्यान शहर की जनसमस्याओं की ओर आकर्षित करना वाजिब है। यूँ तो नगर पालिका प्रशासन के विकास के दावे महज खोखले साबित हो रहे हैं। विकास के बड़े बड़े दावे करने वाली नगर पालिका में साफ सफाई तक की व्यवस्था चरमराई हुई है। नालियां कीचड़ और कचरे से भरी पड़ी हैं। बारिश में नालियों में बहने वाला गन्दा पानी सड़क के बीचोबीच बहता रहता है। शहर के मुख्य बस स्टैंड पर यात्रियों के लिए सुलभ शौचालय की व्यवस्था नही है। महिलाओं को लघुशंका जाने पर भी 5 रुपये शुल्क देना पड़ता हैं। शहर की अधिकतर स्ट्रीट लाइटे खराब पड़ी हैं। रात होते ही गलियों में अंधेरा पसर जाता है और राहगीरों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके समाधान के लिए स्थानीय लोग कई बार नगर पालिका प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिले हैं। वार्डवासियों ने जिन्हें चुनकर नगर पालिका में वार्ड का प्रतिनिधित्व करने भेजा, वो पार्षद केवल अपना स्वार्थ साध रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक पार्षद अपने चहेतों के नाम से पालिका प्रशासन की रसीद कटवाकर खाली पड़े भूखण्डों पर कब्जा करने की कोशिश में लगे हैं। कई पार्षद तो ऐसे भी है जिन्होंने पालिका कर्मचारियों से मिलीभगत करके अपने परिवारजनों या चहेतों के नाम से सरकारी टेंडर लेकर लाखों रु का भुगतान उठा चुके हैं। एक पार्षद साहब ने तो करीब एक एक लाख रु की 70 फाइले मिट्टी डलवाने, बम्बूल कटवाने व अन्य छोटे मोटे कार्यों को पूरा करवाने की फाइलें अपने चेहतों के नाम से बना रखी है। एक ओर पार्षद साहब जिन्होंने तो सामुदायिक भवन के रंग रोगन व मरम्मत कार्यो की ही एक एक लाख रु की करीब 10 फाइल बनाकर भुगतान के लिए रख रखी है। सूत्रों के मुताबिक करीब विगत 04 सालों में एक एक लाख रुपए की 270 फाइलों का भुगतान पालिका अध्यक्ष के हस्ताक्षर के बिना ही हो चुका हैं। आखिर चुने हुए जनप्रतिनिधि ही स्वार्थवश विकास कार्यों की उपेक्षा करेंगे तो विकास कार्य को गति कैसे मिल पाएगी..? लोग तो यह भी कहते हुए नजर आते हैं कि डबल इंजन की सरकार में नगर पालिका मालपुरा का डिब्बा कहीं गुम सा हो गया है। अन्ततः पालिका प्रशासन को इन सबकी निष्पक्ष जांच करनी चाहिए और गलत तरीके से पालिका कोष और सरकारी खजाने का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करनी चाहिए। (नोट: यह लेख केवल लेखक के निजी विचार और सूत्रों पर आधारित जानकारी के आधार पर है।)

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