Breaking News

प्रभु राम के साथ किन्नरों ने भी काटा था वनवास, कलियुग में राज करने का मिला था आशीर्वाद

प्रभु राम के साथ किन्नरों ने भी काटा था वनवास, कलियुग में राज करने का मिला था आशीर्वाद
अयोध्या में स्वर्ग से आए किन्नर: अयोध्या में किन्नर समाज की गद्दी है. ये गद्दी उन किन्नरों के पूर्वजों की है, जिन्होंने भगवान राम के जन्म के बाद सबसे पहले उन्हें गोद में लिया था. किन्नर समाज का कहना है कि राजा दशरथ के घर में रामलला के आने के बाद ही किन्नरों को स्वर्ग से उतारा गया था. किन्नरों का जन्म नहीं हुआ बल्कि उन्हें लाया गया था. भगवान शिव का अर्धनारीश्वर रूप ही किन्नर समाज का रूप है. अयोध्या के किन्नर समाज का कहना है कि राम जब वन जा रहे थे तब उन्होंने नर, नारी को वापस जाने का आदेश दिया था. उन्होंने किन्नरों का नाम नहीं लिया था, जिसके बाद हमारे पूर्वजों ने उनका 14 साल तक इंतजार किया था।
श्रीराम ने दिया कलियुग में राज करने का आशीर्वाद: रोशनी किन्नर कहती हैं, ‘हमारे पूर्वजों ने भगवान राम से बताया, आपके पिताजी ने हमें स्वर्ग से उतारा है. हमने आपके इंतजार में 14 साल तक वन में कंदमूल फल खाए हैं. भगवान राम ने हमारे पूर्वजों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि कलियुग में आपका राज होगा. जिसका भी परिवार बढ़ेगा उसके दरवाजे आप जाएंगे, जिसका घटेगा उसके दरवाजे पर आप नहीं जाएंगे. सोने की हवेली, दौलत, माया जैसी चीजों को देखकर नहीं जाएंगे. अगर किसी वंश बढ़ता है तभी किन्नर उसके यहां जाएगा. सोने की हवेली है, लेकिन वह बिना औलाद के है तो वहां नहीं जाएंगे. हमारे पूर्वजों पूछा कि प्रभु अगर हमारी कोई नहीं सुनेगा तो फिर हम क्या करेंगे. प्रभु ने कहा कि उसके बाद हम तुम्हारी सुनेंगे।
वर्तमान समय में इनकी आजीविका का प्रमुख साधन मांगलिक अवसरों पर नृत्य-संगीत, भीख माॅगनें वेश्यावृŸिा तक ही सीमित रहें गया है। जिसका प्रमुख कारण सामाजिक एवं शैक्षिक अपवंचन ही है। वर्तमान समय में किन्नर समुदाय को विभिन्न प्रकार के सामाजिक भेद-भाव का सामना करना पड़ता है। उनके लिये सार्वजनिक स्थलों पर विश्रामालय एवं शौचालयों का अभाव सबसें बड़ी समस्या है, जो उनके उपहास का कारण भी बन जाता है। शैक्षिक रूप से इन्हें विद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में समान अवसर प्राप्त नहीं है न ही विद्यालयों में महिला-पुरुष शौचालयों की किन्नर शौचालय है और न ही विश्रामालय। चिकित्सिकीय सुविधिओं के नाम पर किन्नरों के लिए संसाधनों का भी अभाव है। जिसके बाद किन्नरों को अपवंचित वर्ग में सामिल करते हुए तीसरे लिंग का दर्जा प्रदान किया गया है सामाजिक न्याय एवं अधिकारता मंत्रालय द्वारा किये जा रहे प्रयास किन्नरों को पूरे भारतवर्ष में चिकित्सकीय, सामाजिक, एवं शैक्षिक लाभ प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त कर रहा है। सामाजिक संस्थाओं द्वारा परन्तु किन्नरों के सामाजिक वंचन के कारण उन्हें यह अधिकार प्राप्त नही हो सका है। सरकार एवं स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा चलाई जा रही योजनाएं आज भी ट्रान्सजेण्डर व्यक्तियों के पहुॅच से दूर है। ऐसे में सरकार, समाज, परिवार, शिक्षकों आदि को मिल कर इस दिशा में सार्थक प्रयास करना पड़ेगा। जिससे उनको मुख्य धारा में जोड़ा जा सके। सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि किन्नरों की वास्तविक परिभाषा ही किसी को ज्ञात नही है। ऐसी परिस्थितियों में शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जो किन्नरों के अपवंचन को दूर कर सकता है एवं उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ सकता है।

लेखक – अनुपम दास,,जगतपुरा,जयपुर, राजस्थान 7742059578

Check Also

आखिर कौन है डॉ. समित शर्मा…? पीएचईडी मंत्री कन्हैयालाल चौधरी ने क्यों की है उनकी प्रशंसा…?

🔊 इस खबर को सुने Gopal NayakChief Editor आखिर कौन है डॉ. समित शर्मा…? पीएचईडी …