
ब्राजील के ओसवाल्डो क्रूज फाउंडेशन के विशेषज्ञों ने शोध किया।उन्होंने पावरफुल इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप की मदद से पहली बार वायरस के स्वस्थ कोशिकाओं को संक्रमित करने की तस्वीरें लीं। ये माइक्रोस्कोप से 20 लाख गुना बड़ी दिखी। इन तस्वीरों को कोरोनोवायरस के संक्रमण, उसके फैलने के तरीकों और अपने जैसे वायरस को उत्पन्न करने वाले अध्ययन के हिस्से के रूप में शामिल किया गया है।
तीन तस्वीरों में है संक्रमण की कहानी
ब्राजील के शोध संस्थान फिओक्रूज के मुताबिक, अध्ययन में वायरस के साथ इस्तेमाल ली गई कोशिकाएं इंसानों की नहीं हैं। इन्हें अफ्रीका के सुडान और इथियोपिया में पाए जाने वाले हरे बंदरों की प्रजाति से ली गई हैं। रिसर्च के लिए अक्सर इनका इस्तेमाल होता है। शोध के लिए तीन तस्वीरों को लिया गया है। इनमें पहली में दिखाया गया कि कैसे वायरस कोशिकाओं के अंदर प्रवेश करता है। दूसरी तस्वीर में वायरस द्वारा सेल्स के साइटोप्लाज्म (कोशिकाद्रव्य) को संक्रमित करते देखा गया है। यह वह जगह है जहां जेनेटिक मटेरियल (आनुवंशिक सामग्री) स्टोर होता है। तीसरी फोटो में कोशिका वायरस से पूरी तरह संक्रमित दिखाई गई है।

मरीज के नाक और गले से सैम्पल लिए
रिसर्च टीम ने कोरोना संक्रमित मरीज के गले और नाक से लिए गए वायरस के सैम्पल्स को प्रयोग के इस्तेमाल में लिया। इसके बाद माइक्रोस्कोपिक इंस्पेक्शन के बाद इंफेक्शन को जांचने के लिए लैब में भेजा गया। तस्वीरों में दिखाया गया काले रंग का धब्बा सार्स-सीओव-2 वायरस है। इसे यह नाम इंटरनेशनल कमेटी ऑन वायरेसेस द्वारा दिया गया है।

कोरोना का हल खोजने में लगेगा समय
दुनिया भर के शोध संस्थान इस बात की कोशिश कर रहे हैं कि कोरोनावायरस को फैलने से रोकने की कोशिश में जुटे हैं। फिलहाल वायरस से बचाव का कोई इलाज या टीका नहीं है। माना जाता है कि कोरोना चीन के शहर वुहान से फैला। इसके चमगादड़ से मनुष्यों में पहुंचने की भी अटकलें लगाई गई हैं। रिसर्च के लिए वायरस अभी नया ही है। इसके बारे में रोज नई जानकारियों सामने आ रही हैं। इसलिए वैज्ञानिकों को इसका हल खोजने के लिए थोड़ा वक्त और लगेगा। इन तस्वीरों के एक अध्ययन पता चला कि शरीर में कोरोना कैसे फैलता है और अपने जैसे दूसरे वायरस को उत्पन्न करता है।
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