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केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान अविकानगर में अनुसूचित जाति उपयोजना अंतर्गत किसानों को किया गया सामग्री वितरण
अविकानगर (टोंक)। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान अविकानगर में दिनांक 11 अक्टूबर को शाम 4 बजे संस्थान की अनुसूचित जाति उपयोजना एवं मालपुरा परियोजना की अनुसूचित जाति उपयोजना के अंतर्गत एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया।

कार्यक्रम में संस्थान के निदेशक डॉ. अरुण कुमार तोमर, टोंक जिला परिषद सदस्य श्री छोगालाल गुर्जर, कार्यक्रम समन्वयक डॉ. अजय कुमार, डॉ. पी.के. मलिक, डॉ. लीलाराम गुर्जर, डॉ. राजेश बिश्नोई, एवं डॉ. रंगलाल मीना उपस्थित रहे।
इस अवसर पर टोंक जिले के विभिन्न गांवों से आए अनुसूचित जाति के किसानों को ऊन्नत किस्म का बीज एवं पशुपालन से जुड़ी आवश्यक सामग्री का वितरण किया गया।
निदेशक डॉ. अरुण कुमार तोमर ने अपने संबोधन में किसानों से अपील की कि वे संस्थान द्वारा विकसित नवीन कृषि एवं पशुपालन तकनीकों को अपनाएं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की मंशा के अनुरूप संस्थान किसानों तक वैज्ञानिक जानकारी एवं तकनीकी इनपुट पहुंचा रहा है ताकि किसान नवीन तकनीकों के समावेश से उत्पादन बढ़ाकर मूल्यवर्धित उत्पाद तैयार करें और अपनी आजीविका में सुधार करें।
उन्होंने बताया कि आज शहरी क्षेत्रों में कृषि एवं पशुपालन आधारित उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है। किसान भाई सहकारी समितियों के माध्यम से इस मांग को पूरा कर अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं।
मुख्य अतिथि छोगालाल गुर्जर ने निदेशक डॉ. तोमर का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में अविकानगर संस्थान न केवल राजस्थान बल्कि पूरे भारत में भेड़, बकरी और खरगोश पालन की नवीन तकनीकों के प्रसार में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
मालपुरा परियोजना के पीआई डॉ. पी.के. मलिक ने बताया कि टोंक जिले के 18 गांवों के 30 अनुसूचित जाति किसानों (27 पुरुष एवं 3 महिलाएं) को 500 लीटर क्षमता की पीने के पानी की टंकियां वितरित की गईं। वहीं, अनुसूचित जाति उपयोजना के नोडल अधिकारी डॉ. अजय कुमार ने जानकारी दी कि जिले के 400 किसानों को किचन गार्डन सब्जी किट एवं 19 किसानों को पशुपालन सामग्री जैसे फीडिंग ट्रफ, मिनरल मिक्सचर ईंट, टॉर्च, स्टील बाल्टी एवं पानी की बोतलें वितरित की गईं।
कार्यक्रम की जानकारी संस्थान के मीडिया प्रभारी डॉ. अमरसिंह मीना ने दी और बताया कि संस्थान आगे भी अनुसूचित जाति किसानों के लिए इस प्रकार की लाभकारी योजनाएं और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता रहेगा।
यह आयोजन किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और आधुनिक तकनीकों से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।
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