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मालपुरा : खानापूर्ति पर अटकी पालिका की तैयारी, जलझूलनी एकादशी पर ठाकुरजी का नगर भ्रमण व नोका विहार कल

मालपुरा : खानापूर्ति पर अटकी पालिका की तैयारी
जलझूलनी एकादशी पर ठाकुरजी का नगर भ्रमण व नोका विहार कल
मालपुरा (टोंक)। मालपुरा की पहचान बन चुकी जलझूलनी एकादशी परंपरा इस बार भी नगर पालिका की लापरवाही की भेंट चढ़ती नजर आ रही है। ठाकुरजी के नगर भ्रमण और नोका विहार से एक दिन पहले गणगौरी मैदान और मुख्य बाजारों में तैयारी के नाम पर खानापूर्ति की गई, लेकिन श्रद्धालुओं की मुश्किलें जस की तस बनी हुई हैं। पालिका की यह पूर्व तैयारी ऊंट के मुंह में जीरे के समान है।
ऐतिहासिक गणगौरी मैदान प्रशासन की कार्यशैली का आईना बन चुका है। यहां अंतिम समय में ईंटों का मलबा डालकर ऊपर रेत बिछा दी गई, मगर बारिश से बने गड्ढे और कीचड़ आज भी श्रद्धालुओं की राह रोकने को तैयार खड़े हैं। मुख्य बाजारों और रास्तों पर पड़े गड्ढे भी जस के तस हैं, जिससे डोलयात्रा में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं की परीक्षा होना तय है।
कल बुधवार को शहर के विभिन्न मंदिरों से श्रद्धालुओं द्वारा ठाकुरजी के विमान नंगे पांव उठाकर मुख्य बाजारों से गुजरते हुए गणगौरी मैदान तक पहुंचेंगे। हजारों श्रद्धालु इस यात्रा में शामिल होंगे, लेकिन टूटी-फूटी और गड्ढों से भरी सड़कें उनके लिए बड़ी चुनौती बनेंगी। डोलयात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को चोट व असुविधा का डर साफ दिख रहा है।

जलझूलनी एकादशी मालपुरा की आत्मा मानी जाती है। यह आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि मालपुरा की संस्कृति और पहचान है। ठाकुरजी का नगर भ्रमण, सामूहिक आरती और नोका विहार इस परंपरा की मुख्य झलक हैं। मगर हर साल की तरह इस बार भी पालिका की खानापूर्ति ने इस पावन परंपरा की गरिमा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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श्रद्धालुओं का आरोप है कि पालिका हर बार अंतिम समय में दिखावे के काम करती है। एक श्रद्धालु ने कहा— “यह आयोजन हमारी आस्था की आत्मा है। लेकिन प्रशासन की लापरवाही हर साल श्रद्धालुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाती है।”

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प्रदेश सरकार जहां जल व पर्यावरण संरक्षण और धार्मिक धरोहरों के संरक्षण की बड़ी-बड़ी घोषणाएं करती है, वहीं मालपुरा में हालात इसके विपरीत नजर आते हैं। गणगौरी मैदान की दुर्दशा और टूटी सड़कों का हाल यह साफ करता है कि सरकार और पालिका की योजनाएं केवल कागजों तक सीमित हैं।
सवाल यही है कि जब जलझूलनी एकादशी मालपुरा की पहचान है, तब भी नगर पालिका स्थायी इंतजाम क्यों नहीं करती? आखिर कब तक श्रद्धालुओं को टूटी सड़कों और गंदगी से जूझना पड़ेगा ?

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