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सरकारी लापरवाही ने छीनी मासूम जिंदगी – कब जागेगा सिस्टम ?
कुएं में गिरने से युवक की दर्दनाक मौत: जलदाय विभाग की लापरवाही बनी मौत का कारण
मालपुरा (टोंक)। डिग्गी क्षेत्र के सीतारामपुरा गांव में शनिवार को एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे गांव को शोक में डुबो दिया। शनिवार सुबह लगभग 7:30 बजे हर्षित तिवाड़ी पुत्र बजरंग लाल तिवाडी (20 वर्ष) अपने घर से निकला था। वह गांव के बाहर गुदला की नाड़ी के पास अपनी गायों को पानी पिलाने ले गया। पास ही स्थित जलदाय विभाग के पानी सप्लाई के लिए बने कुएं से उसने अपनी प्यास बुझाने के लिए पानी निकालने की कोशिश की। लेकिन इसी दौरान अचानक उसका संतुलन बिगड़ा और वह खुले कुएं में गिर गया। हर्षित की घर वापसी न होने पर परिजनों को चिंता हुई। शाम करीब पांच बजे परिजन उसकी तलाश में निकले, लेकिन काफी प्रयासों के बावजूद हर्षित का कुछ पता नहीं चला। जब परिजन जलदाय विभाग के सप्लाई कुएं के पास पहुंचे तो वहां तैरती हुई हर्षित की चप्पल दिखाई दी। आशंका गहराते ही उन्होंने तत्काल डिग्गी थाना पुलिस को सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुंची और रेस्क्यू कर शाम सात बजे कुएं से हर्षित के शव को बाहर निकाला। इसके बाद शव को डिग्गी अस्पताल पहुंचाया गया, जहां रविवार सुबह चिकित्सकों की टीम ने पोस्टमार्टम कर शव परिजनों को सौंप दिया। इस दुखद घटना ने पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ा दी। गौरतलब है कि राजस्थान सरकार ने सभी खुले कुओं पर सुरक्षा के लिहाज से जाल या ढक्कन लगाने के स्पष्ट निर्देश दिए हैं। इसका उद्देश्य खुले कुओं में गिरने से जान-माल की रक्षा करना था। लेकिन इस मामले में जलदाय विभाग की घोर लापरवाही सामने आई है। जिस कुएं से जल सप्लाई की जाती है, वह पूरी तरह असुरक्षित अवस्था में खुला पड़ा था। अगर समय रहते इस कुएं पर सुरक्षा जाल लगाया गया होता तो आज एक होनहार युवक की जान बचाई जा सकती थी। जब सरकार ने स्पष्ट आदेश जारी कर रखे हैं, तो फिर जलदाय विभाग क्यों इन्हें नजरअंदाज कर रहा है? किसकी जिम्मेदारी थी कि सार्वजनिक स्थलों पर बने ऐसे खतरनाक कुओं को सुरक्षित किया जाए? आखिर इस लापरवाही की कीमत एक परिवार को अपने लाल की जान देकर क्यों चुकानी पड़ी?

परिवार का टूट गया सपना
हर्षित तिवाड़ी एक होनहार छात्र था। वह लंबे समय से अपने परिवार के साथ जयपुर में रहकर उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहा था। गांव में आयोजित एक सामाजिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए वह मात्र एक दिन पूर्व ही अपने पैतृक गांव आया था। परिजनों के अनुसार, हर्षित का सपना था कि पढ़-लिखकर वह परिवार और गांव का नाम रोशन करेगा। लेकिन विभागीय लापरवाही ने उसके सपनों को बीच रास्ते में ही तोड़ दिया।

जलदाय विभाग का लापरवाह रवैया
इस दुखद घटना के बाद जब मीडिया ने जलदाय विभाग के अधिकारियों से बात की, तो मालपुरा जलदाय विभाग के एक्सईएन संदीप बाटड़ ने सिर्फ इतना कह कर पल्ला झाड़ने की कोशिश की कि “मामले की जांच की जाएगी।”
लेकिन सवाल यह है कि क्या महज़ जांच से हर्षित को वापस लाया जा सकता है? जब तक जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं होगी, तब तक ऐसी घटनाएं यूं ही दोहराती रहेंगी। जांच के नाम पर समय बिताना और फाइलों में मामला दबा देना अब आम बात बनती जा रही है।
गांववासियों में रोष
घटना के बाद गांववासियों में जबरदस्त आक्रोश देखा गया। ग्रामीणों का कहना है कि जलदाय विभाग कई बार लिखित और मौखिक रूप से अवगत कराया गया था कि सप्लाई कुएं के चारों तरफ सुरक्षा उपाय किए जाएं, लेकिन किसी ने कोई सुध नहीं ली। गांववालों की मांग है कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई हो तथा सभी खुले कुओं को अविलंब सुरक्षित किया जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।