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मालपुरा भाजपा में मंडल अध्यक्ष की नियुक्ति पर सियासी बवंडर…क्या प्रदेश नेतृत्व सुनेगा कार्यकर्ताओं की आवाज ?

मालपुरा भाजपा में मंडल अध्यक्ष की नियुक्ति पर सियासी बवंडर 
असंतुष्ट गुट प्रदेश नेतृत्व से कर सकता है शिकायत!
मालपुरा (टोंक)। भाजपा में शहर मंडल अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद पार्टी में असंतोष की लहर दौड़ गई है। नवनियुक्त मंडल अध्यक्ष जिनेंद्र मेंदवास्या की ताजपोशी के बाद से ही स्थानीय कार्यकर्ताओं में नाराजगी देखने को मिल रही है। कई वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं का मानना है कि इस नियुक्ति से न केवल स्थानीय कार्यकर्ताओं की भावनाओं को नजरअंदाज किया गया है, बल्कि पार्टी की जमीनी विचारधारा पर भी आघात पहुंचा है।
बैठकों में कभी नहीं दिखे, फिर कैसे बने अध्यक्ष ?
पार्टी सूत्रों की मानें तो जिनेंद्र मेंदवास्या को अब तक पार्टी के किसी महत्वपूर्ण बैठक या अभियान में सक्रिय भूमिका निभाते नहीं देखा गया था। स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं ने इस नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसे व्यक्ति को मंडल अध्यक्ष बना देना, जो कभी संगठन की रीति-नीति को करीब से समझने के लिए सामने नहीं आया, यह कार्यकर्ताओं के लिए एक बड़ा झटका है।
एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि “हम वर्षों से भाजपा की विचारधारा को आगे बढ़ाने में लगे हैं। पार्टी की हित के लिए दिन-रात काम किया, लेकिन जब अध्यक्ष पद का निर्णय आया, तो एक ऐसा व्यक्ति चुना गया, जिसे कार्यकर्ता तक नहीं जानते! क्या यह मेहनत करने वालों के साथ अन्याय नहीं है?”
रात के अंधेरे में गुप्त मंत्रणा, असंतुष्ट गुट प्रदेश नेतृत्व तक पहुंचने की तैयारी में
भाजपा के असंतुष्ट गुट ने बीती रात एक गुप्त बैठक की, जिसमें प्रदेश नेतृत्व तक यह मामला पहुंचाने पर विचार किया गया। सूत्रों के अनुसार, बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि इस मामले को संगठन स्तर पर उठाया जाए और प्रदेश नेतृत्व को ज्ञापन सौंपकर नए मंडल अध्यक्ष के चयन की समीक्षा करने की मांग की जाए। पार्टी के कई वरिष्ठ कार्यकर्ता इस नियुक्ति को अस्वीकार्य मानते हैं और वे इस मुद्दे को हल्के में नहीं लेना चाहते।
एक भाजपा पदाधिकारी ने कहा कि “अगर पार्टी सच में कार्यकर्ताओं की मेहनत को सम्मान देना चाहती है, तो इस फैसले पर पुनर्विचार करना होगा। संगठन को मजबूत करने के लिए सही नेतृत्व आवश्यक है, न कि ऐसे व्यक्ति को थोपना, जो कभी पार्टी के संघर्षों में शामिल ही नहीं हुआ।”
पार्टी के भीतर बढ़ता असंतोष, विरोध प्रदर्शन की संभावना
सूत्रों की मानें तो अगर प्रदेश नेतृत्व इस मामले को गंभीरता से नहीं लेता है, तो मालपुरा में भाजपा कार्यकर्ता खुलकर विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं। पिछले कुछ वर्षों में यह पहली बार होगा कि भाजपा के कार्यकर्ता अपनी ही पार्टी के फैसले के खिलाफ मुखर रूप से सामने आएंगे। स्थानीय नेताओं के बीच इस बात की चर्चा भी जोरों पर है कि यदि प्रदेश नेतृत्व से सकारात्मक जवाब नहीं मिला, तो पार्टी के असंतुष्ट गुट कोई बड़ा निर्णय ले सकता है।
भाजपा की रीति-नीति पर सवाल, क्या यह सही निर्णय था?
भाजपा हमेशा से कार्यकर्ताओं की निष्ठा और संगठन में उनकी मेहनत को सर्वोपरि मानती आई है। लेकिन मालपुरा मंडल अध्यक्ष की नियुक्ति पर उठ रहे सवाल पार्टी की कार्यशैली और चयन प्रक्रिया को लेकर गंभीर चिंताएं खड़ी कर रहे हैं। पार्टी के कई वरिष्ठ कार्यकर्ता इस चयन को “एकतरफा फैसला” बता रहे हैं, जिसमें जमीनी कार्यकर्ताओं की अनदेखी की गई है।
एक स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता ने कटाक्ष करते हुए कहा कि “अगर अध्यक्ष का चयन ऐसे ही पैसे के आधार पर होना है, तो फिर हमें दिन-रात मेहनत करने की क्या जरूरत है?”
क्या प्रदेश नेतृत्व सुनेगा कार्यकर्ताओं की आवाज?
अब सवाल यह उठता है कि क्या भाजपा का प्रदेश नेतृत्व इस असंतोष को गंभीरता से लेगा? क्या कार्यकर्ताओं की आवाज को सुना जाएगा, या फिर यह मामला यूं ही शांत हो जाएगा?
इस पूरे घटनाक्रम ने भाजपा के संगठनात्मक ढांचे पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। यदि इस असंतोष को अनदेखा किया गया, तो इससे पार्टी को आने वाले समय में कार्यकर्ताओं का समर्थन खोना पड़ सकता है।
राजनीतिक गलियारों में हलचल, विरोध की आहट
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि भाजपा इस मामले में जल्द समाधान नहीं निकालती, तो यह मामला और तूल पकड़ सकता है। अभी तक विरोध केवल पार्टी के अंदर ही सीमित है, लेकिन यदि असंतुष्ट गुट खुलकर सामने आया, तो यह भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है।
अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि भाजपा का प्रदेश नेतृत्व इस विवाद पर क्या कदम उठाता है। क्या इस नियुक्ति पर पुनर्विचार किया जाएगा, या फिर कार्यकर्ताओं को सिर्फ आश्वासन देकर शांत किया जाएगा?
देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा अपने असंतुष्ट कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए कौन सा नया राजनीतिक दांव खेलती है।

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