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राष्ट्रीय संविधान दिवस हमारा संविधान, हमारा सम्मान

राष्ट्रीय संविधान दिवस
हमारा संविधान, हमारा सम्मान
भारतीय संविधान देश के मौलिक कानून के रूप में हमारे मूल्यों, सिद्धांतों और शासन के ढांचे का प्रतीक है। यह भारत की सर्वोच्च विधि के रूप में भूमिका निभाता है, तथा राज्यों के कामकाज का भी मार्गदर्शन करता है। भारतीय संविधान के द्वारा नागरिकों के अधिकारों और जिम्मेदारियों को भी सुनिश्चित किया जाता है।
संविधान का अर्थ
किसी राज्य का संविधान मूल सिद्धांतों या स्थापित परंपराओं का एक मौलिक समूह होता है जिसके आधार पर राज्य के द्वारा शासन का संचालन किया जाता है। यह सरकार की संस्थाओं के संगठन, शक्तियों और सीमाओं के साथ-साथ नागरिकों के अधिकारों एवं कर्तव्यों के मध्य एक संतुलन की तरह कार्य करता है। यह देश के सर्वोच्च कानून के रूप में भूमिका निभाता है, जो सरकार के कामकाज, व्यक्तिगत स्वतंत्रताओं की सुरक्षा एवं सामाजिक व्यवस्था के रखरखाव के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है।
भारत के संविधान का दर्शन
भारतीय संविधान अपने ऐतिहासिक संघर्षों, दार्शनिक आदर्शों और सामाजिक आकांक्षाओं की जड़ों के साथ लोकतंत्र, न्याय और समानता की ओर राष्ट्र की सामूहिक यात्रा को प्रदर्शित करता है। यह लेख भारतीय संविधान के अर्थ, संरचना, प्रमुख विशेषताओं, महत्त्व और अन्य पहलुओं को समझाने का प्रयास करता है।
भारत का संविधान
भारत का संविधान भारतीय गणराज्य का सर्वोच्च कानून है। यह देश की राजनीतिक व्यवस्था के लिए रूपरेखा तैयार करता है, सरकार की संस्थाओं की शक्तियों एवं उत्तरदायित्वों को परिभाषित करता है। संविधान के द्वारा मौलिक अधिकारों की रक्षा के साथ-साथ शासन के सिद्धांतों को भी रेखांकित किया जाता है। संविधान में देश के प्रशासन का मार्गदर्शन करने वाले नियमों और विनियमों का एक समूह होता है।
किसी राज्य का संविधान मूल सिद्धांतों या स्थापित परंपराओं का एक मौलिक समूह होता है जिसके आधार पर राज्य के द्वारा शासन का संचालन किया जाता है। यह सरकार की संस्थाओं के संगठन, शक्तियों और सीमाओं के साथ-साथ नागरिकों के अधिकारों एवं कर्तव्यों के मध्य एक संतुलन की तरह कार्य करता है। यह देश के सर्वोच्च कानून के रूप में भूमिका निभाता है, जो सरकार के कामकाज, व्यक्तिगत स्वतंत्रताओं की सुरक्षा एवं सामाजिक व्यवस्था के रखरखाव के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है।
भारत का संविधान भारतीय गणराज्य का सर्वाेच्च कानून है। यह देश की राजनीतिक व्यवस्था के लिए रूपरेखा तैयार करता है, सरकार की संस्थाओं की शक्तियों एवं उत्तरदायित्वों को परिभाषित करता है। संविधान के द्वारा मौलिक अधिकारों की रक्षा के साथ- साथ शासन के सिद्धांतों को भी रेखांकित किया जाता है। संविधान में देश के प्रशासन का मार्गदर्शन करने वाले नियमों और विनियमों का एक समूह होता है।

भारतीय संविधान की संरचना
भारतीय संविधान विश्व के सबसे लंबे एवं विस्तृत लिखित संविधानों में से एक है। भारतीय संविधान की संरचना के विभिन्न घटकों को इस प्रकार देखा जा सकता है।
भागः- संविधान में ’’भाग’’ का तात्पर्य समान विषयों या प्रवृत्तियों से संबंधित अनुच्छेदों के समूह से है। भारतीय संविधान विभिन्न भागों में विभाजित है, प्रत्येक भाग देश के कानूनी, प्रशासनिक या सरकारी ढांचे के विशिष्ट पहलू से संबंधित है।
अनुच्छेद- “अनुच्छेद” संविधान के अंतर्गत एक विशिष्ट प्रावधान या खंड को संदर्भित करता है, जो देश के कानूनी और सरकारी ढांचे के विभिन्न पहलुओं का विवरण प्रदान करता है।संविधान के प्रत्येक भाग में क्रमानुसार क्रमांकित कई अनुच्छेद होते हैं।
अनुसूचियाँः- “अनुसूची” संविधान से सम्बंधित एक सूची या तालिका को संदर्भित करती है जो संवैधानिक प्रावधानों से संबंधित कुछ अतिरिक्त जानकारी या दिशानिर्देशों का विवरण प्रदान करती है। अनुसूचियाँ स्पष्टता और पूरक विवरण प्रदान करती हैं, जिससे संविधान अधिक व्यापक और कार्यात्मक बन जाता है।
भारतीय संविधान का अधिनियम और अंगीकरण
भारतीय संविधान का निर्माण 1946 में गठित एक संविधान सभा द्वारा किया गया था। संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे।
29 अगस्त 1947 को संविधान सभा में भारत के स्थायी संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए एक प्रारूप समिति के गठन का प्रस्ताव रखा गया था। तदनुसार, बाबा साहेब डॉ. बी.आर. अंबेडकर की अध्यक्षता में प्रारूप समिति गठित की गई थी। प्रारूप समिति के द्वारा संविधान को तैयार करने में 2 वर्ष, 11 महीने और 18 दिनों का कुल समय लगा। कई विचार-विमर्श और कुछ संशोधनों के बाद, संविधान के प्रारूप को संविधान सभा द्वारा 26 नवंबर 1949 को पारित घोषित किया गया था। इसे भारत के संविधान की “अंगीकृत तिथि” के रूप में जाना जाता है। संविधान के कुछ प्रावधान 26 नवंबर 1949 को लागू हो गए थे। हालांकि, संविधान का अधिकांश भाग 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ, जिससे भारत एक संप्रभु गणराज्य बन गया। इस तिथि को भारत के संविधान के “अधिनियमन तिथि” के रूप में जाना जाता है।

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