नोकरी छोड़ होमगार्ड जवान बना पत्रकार…
आजकल समाज में पत्रकार बनने का क्रेज कुछ ज्यादा ही छाया हुआ है… जो कोई भी बेरोजगार है, वो मुंह उठाए चला आता है पत्रकारिता के पेशे में… चाहे उसे लोकतंत्र के चौथे स्तंभ माने जाने वाले पत्रकार के दायित्व और कर्तव्य का तनिक भी ज्ञान ना हो…हर कोई दूसरा बेरोजगार व्यक्ति खुद के पत्रकार का तमगा लगाकर, अपनी हैसियत को समाज के अंदर बढाने में लगा हुआ है…. खैर कोई बात नहीं पत्रकारिता के क्षेत्र में नए नए रंग रूट भी आते रहते है और जाते रहते हैं… बेचारे जो पत्रकारिता के क्षेत्र में वरिष्ठ पत्रकारों की श्रेणी में आते हैं, उनका घर कैसे चलता है, उनसे ज्यादा कोई नही जान सकता… परिवार का गुजारा करने के लिए कभी नेताओं की तो कभी अफसरों की गुलामी करते हैं… कभी बीवी की तो कभी बच्चों के ताने सुनते हैं… वैसे तो लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के रूप में पत्रकार जाने पहचाने जाते हैं… हमारे शहर के एक पत्रकार जी तो शहरवासियों से “पत्रकार साहब” नाम सुनकर ही सारे गम भुला देते हैं… कहते हैं कि लोगों से “पत्रकार साहब” सुनकर दिल को बड़ा सुकून मिलता है… ना कोई नोकरी और ना कोई सरकारी ओहदा, फिर भी लोग साहब कहते हैं… इनकी बात छोड़िये… गजब तो तब हो गया जब पालिका में होमगार्ड की नोकरी करने वाले एक जवान ने नोकरी छोड़ पत्रकारिता का पेशा अपना लिया… शहर में चारों तरफ चर्चा हो गई…. क्या पत्रकारिता में इतना पैसा है कि नोकरी ही छोड़ दी… अक्कू मिया पर पत्रकारिता का नशा ऐसा छाया की नोकरी तक की परवाह नही की… इधर वरिष्ठ पत्रकार होमगार्ड में भर्ती होने के लिए लालायित रहते हैं… अक्कू मिया ने बताया कि बहुत पापड़ बेलने के बाद पत्रकार का तमगा हाथ लगा है… प्रदेश में पत्रकार बनने के लिए बहुत हाथ पांव मारे, मगर जुगाड़ नही बैठा… बड़ी मुश्किल से प्रदेश के बाहर जाकर जुगाड़ बैठा है… होमगार्ड की नोकरी में क्या रखा है… समय पर ड्यूटी नही मिलती और ना ही तनख्वाह… इधर समाज मे नाम और पैसा दोनों है… अब अक्कू मियां को समझाने से कोई फायदा नहीं… अक्कू मियां की अक्ल के क्या कहने… गई भैंस पानी में… नोकरी छोड़ और पत्रकार का तमगा पाकर अक्कू मियां अब जनसमस्याओं की खबर कवरेज करने में व्यस्त हैं…. (सम्पादकीय व्यंग्य लेख)