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कांग्रेस का “डालडा” भाजपा में आते ही बन रहा है “देसी घी…?

कांग्रेस का “डालडा” भाजपा में आते ही बन रहा है “देसी घी…? भाजपा की “वाशिंग मशीन में धुलते ही सारे दाग गायब…? पिछले दो दिनों से उड़ती हुई खबर आ रही है कि मध्यप्रदेश के पुर्व सीएम कमलनाथ और उनके बेटे नकुलनाथ एवं उनके साथ अन्य विधायक “चोला बदलकर” भाजपा में आने वाले हैं… राजनीतैक दलों की “नाता-प्रथा” पर करते हैं कुछ मजेदार चर्चा…!

देवी शंकर सोनी की कलम से…✍️

बीते 12 फरवरी को महाराष्ट्र के पूर्व सीएम अशोक चव्हाण कांग्रेस की काल कोठरी से निकलकर भाजपा के आंगन में आकर खुली सांसे ले रहे हैं… अब तक 12 पूर्व सीएम कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम चुके हैं… सुना है मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम 134 करोड़ की संपत्ति के मालिक कमलनाथ एवं उनके बेटे 660 करोड़ की संपत्ति के मालिक नकुलनाथ भी ज्योतिरादित्य सिंधिया की डगर पर चल पड़े हैं, जल्द ही भाजपा के कुनबे में चार चांद लगाने वाले हैं… और भाजपा “चाहे पति मर जाए पर सौतन विधवा होनी चाहिए” की तर्ज पर कांग्रेसियों के लिए झोली फैलाए बैठी है…!
– 2014 में नरेंद्र मोदी के देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद से कांग्रेसियों का भाजपा में आने का चलन बड़ा… 2019 के बाद इस चलन में तेजी आई… अब स्थिति यह है कि हर दिन राजनेताओं द्वारा कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने की खबरें आ रही है… कांग्रेसियों को पता नहीं क्यों ऐसा लग रहा है कि भाजपा में “जीमणे की आखिरी पंगत बची है उसके बाद में कोठ्यार बंद हो जाएगा”…?
– उधर भारत जोड़ो यात्रा पर निकले राहुल गांधी “स्टोव में कोयला डालकर” पता नहीं क्या-क्या जतन कर रहे हैं और पीछे से उनकी पार्टी के नेता कांग्रेस को “तीन तलाक” देकर भाजपा के साथ “फेरे” ले रहे हैं… और भाजपा भी “बाड़े कूद रहे बींद” की तरह एक ही “गरजोड़े” से कांग्रेस की सभी “बिनणियों” का पाणिग्रहण संस्कार करवा रही है… जहां राहुल गांधी कांग्रेस की लालटेन की टिमटिमाती लौ को तेज करने का प्रयास कर रहे हैं वहीं उनके नेता कांग्रेस की भट्ठियां बुझाने में लग रहे हैं… वैसे तो कांग्रेस छोड़कर जाने वाले नेताओं की लंबी फेहरिस्त है लेकिन आज कमलनाथ के जरीए ही इस माजरे को समझने का प्रयास करते हैं…!
– कमलनाथ मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा से 1980 में पहली बार सांसद बने, उसके बाद से लगातार सांसद रहे… गांधी परिवार के प्रति उनकी आस्था ऐसी थी कि इंदिरा गांधी उन्हें अपना तीसरा बेटा कहकर बुलाती थी, गांधी परिवार के प्रति उनके प्रेम को कुछ इस तरह से समझिए… 11 अक्टूबर 2018 में उनका एक बयान जबरदस्त वायरल हुआ था…!
– गृह मंत्रालय के पूर्व अंडर सेक्रेटरी एवं हिंदू टेरर के लेखक आरवीएस मणि ने मीडिया के सामने खुलासा करते हुए कहा था कि- कमलनाथ ने उन्हें कांग्रेस का एक अनलीगल काम करने को कहा, जब मैंने उन्हें मना कर दिया तो कमलनाथ ने क्रोधित होते हुए कहा कि हम राहुल गांधी का मूत्र पीने को तैयार है और तुम इतने से काम के लिए कैसे मना कर सकते हो, हालांकि उस दबंग अधिकारी ने फिर भी उस अनलीगल काम को नहीं किया…!
– बात यह है कि जो व्यक्ति कांग्रेस की हर अच्छी-बुरी बात में हां में हां मिलाता हो, जो व्यक्ति “इशरत जहां” को आतंकी नहीं मानता हो, और तो और जो व्यक्ति आतंकी को मसीहा मानता हो, जिसकी रग-रग में कांग्रेसी विचारधारा भरी हो, उसका कांग्रेस से कैसे मोह भंग हो गया… आखिर इसका कारण क्या था… क्या एमपी के पीसीसी चीफ के पद से उन्हें हटाकर जीतू पाटीदार को अध्यक्ष बनाना उन्हें नागवार गुजरा या पार्टी द्वारा राज्यसभा में नहीं भेजना उन्हें अपमानजनक लगा…!
– असल सवाल यह है कि क्या कमलनाथ भाजपा की वाशिंग मशीन में धुलने के बाद कांग्रेसी विचारधारा त्याग पाएंगे, पिछले लगभग 45-50 वर्षों से कांग्रेस के रंग में रंगे कमलनाथ पर भाजपा में आने के बाद क्या भगवा रंग चढ़ पाएगा… आखिर भाजपा के पास ऐसा कौन सा पारस पत्थर है जो कांग्रेस के लोहे को छूते ही भाजपा में सोना बन जाता है… क्या नेहरूवादी विचारधारा के लोग अटल जी की भाजपा के मूल्यों को अपना पाऐंगे… या फिर भाजपा कांग्रेस की विचारधारा को अपने में समाहित कर धर्मनिरपेक्ष विचारधारा का ढोंग करेगी…?
– अहम सवाल यह है कि क्या चुनाव जीतना ही भाजपा का अंतिम लक्ष्य रह गया है… क्या जनसंघ के मूल्यों एवं आदर्शों को ताक में रख दिया गया है… क्या यह स्वयं सेवक संघ की मौन स्वीकृती है… या फिर नरेंद्र मोदी के मिशन “कांग्रेस मुक्त भारत” को लेकर कोई “खेला” किया जा रहा है… क्या आगामी आम चुनाव में विपक्ष के अस्तित्व को मिटाकर सत्ता चलाई जाएगी… अगर ऐसा ही है, तो फिर यह भारत के स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं होगा…!
– बिना मजबूत विपक्ष के सत्ता निरंकुश हो जाती है जिसके परिणाम अच्छे नहीं होते… अगर भाजपा आज मनमानी कर रही है तो उसके लिए पूरा विपक्ष जिम्मेदार है… कांग्रेस के योग्य, सक्षम एवं प्रतिभाशाली नेताओं एवं कार्यकर्ताओं की जब तक अनदेखी होती रहेगी, जब तक गांधी परिवार अपने आप को पीछे धकेलकर कांग्रेस को आगे नहीं करेगा, तब तक कांग्रेस का विघटन जारी रहेगा… और बिना कांग्रेस के मजबूत विपक्ष की कल्पना फिलहाल तो नहीं की जा सकती… कांग्रेस को अपने गिरेबान में झांकना ही पड़ेगा… अपने अहंकार को कम करके छोटे दलों को साथ लेकर चलना ही पड़ेगा, तभी मजबूत विपक्ष की परिकल्पना की जा सकती है…?

अंततः

बिना लड़े ही उन्हें हार नजर आने लगी है, बातों में खुली खार नजर आने लगी है…!
जैसे तैसे सजाई, सेज पे बैठी दुल्हन, मिलाई आंख तो बीमार आने लगी है…!
सिद्धांतों को लोहे के जंगल खा गए, कुर्सी सरकार की लाचार नजर आने लगी है…!

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