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घुमंतू, अर्द्ध-घुमंतू जातियों के बच्चों को स्कूलों से जोड़ने की जरूरत- जिला कलेक्टर

घुमंतू, अर्द्ध-घुमंतू जातियों के बच्चों को स्कूलों से जोड़ने की जरूरत- जिला कलेक्टर
टोंक –  जिला कलेक्टर चिन्मयी गोपाल की अध्यक्षता में कल गुरुवार को कलेक्ट्रेट सभागार में घुमंतू जनसंवाद कार्यक्रम तथा मिशन विमुक्तजन उन्नयन अभियान की बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में जिला कलेक्टर ने कहा कि सरकार और जिला प्रशासन की तरफ से घुमंतू और अर्द्ध-घुमंतू जातियों को आवास और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जोड़ने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि टोंक जिले में घुमंतू, अर्द्ध-घुमंतू और विमुक्त जातियों का सर्वे कराया गया है, जिसके मुताबिक टोंक में इन जातियों के 8,120 परिवार निवास करते हैं। इन परिवारों की कुल सदस्य संख्या 32,813 है। उन्होंने कहा कि सर्वे में घुमंतू जातियों की आवास तथा पेंशन एवं पालनहार जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की पात्रता जांची गई।

सर्वे में यह भी देखा गया कि क्या इन जातियों को जननी सुरक्षा जैसे लाभ प्राप्त हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि घुमंतू, अर्द्ध-घुमंतू तथा विमुक्त जातियों के 50 फीसदी बच्चे आंगनबाड़ी में नहीं जाते। ऐसे बच्चों को आंगनबाड़ी और स्कूलों से जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी उपखंडों के एसडीओ से इन जातियों के निवास के लिए प्रस्ताव बनवाए जाएंगे। जिला कलेक्टर ने कहा कि सहायक निदेशक टोंक (लोक सेवाएं) भारत भूषण गोयल ने देवली एसडीओ के रूप में घुमंतू जातियों के उत्थान के लिए उत्कृष्ट कार्य किया है। गोयल ने अपने संबोधन में कहा कि उन्होंने पाया है कि इन जातियों के पास पहचान के दस्तावेजों का अभाव है। सहायक निदेशक ने कहा कि उन्होंने देवली एसडीओ के पद पर रहते हुए इन जातियों के लोगों के आधार कार्ड बनवाने के लिए शिविर लगवाये थे। हालांकि अब भी बहुत से घुमंतू, अर्द्ध-घुमंतू परिवारों के पास आधार एवं अन्य पहचान के दस्तावेज नहीं हैं।

गोयल ने कहा कि देवली में महाराणा प्रताप कॉलोनी बसाकर घुमंतू जातियों के 150 परिवारों को भूमि आवंटन किया गया। इसके साथ ही उन्हें भवन निर्माण के लिए 1.50 लाख रुपये का ऋण भी उपलब्ध कराया गया। एक्शन एड के कंट्री डायरेक्टर ने कहा कि टोंक देश का शायद ऐसा पहला जिला है जहां जिला प्रशासन ने घुमंतू जातियों के लिए बस्ती बसाई है। उन्होंने इन जातियों के उत्थान के लिए आवास, आरक्षण और शिक्षा को बड़ी आवश्यकता बताया। कंट्री डायरेक्टर ने कहा कि इस समुदायों के लिए किये जाने वाले कार्यों में महिलावादी सोच लाने की जरूरत हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं के नाम आवास पट्टों जैसी पहल की जानी चाहिए।
सभा कक्ष में मौजूद इन जातियों के प्रतिनिधियों ने कहा कि उनके लिए दस्तावेजों की कमी योजनाओं का लाभ लेने में सबसे बड़ी बाधा है। उन्होंने इन जातियों को शिक्षा, छोटे परिवार और विज्ञान को अपनाने की जरूरत पर बल दिया। बैठक में जिला परिषद के सीईओ देशलदान सहित अन्य अधिकारी एवं एक्शनएड के कोर्डिनेटर जहीर आलम सहित उपस्थित रहे।

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