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मालपुरा कॉलेज की जर्जर इमारत बनी खतरा, 1500 छात्र-छात्राएं दहशत में पढ़ाई को मजबूर
पांच साल से बदहाल इमारत, मरम्मत की घोषणाएं बनी कागज़ी, हर दिन हादसे का डर
मालपुरा (टोंक)। राजकीय महाविद्यालय मालपुरा इन दिनों अपनी खस्ताहाल इमारत के चलते मौत को दावत दे रहा है। जहां एक ओर सरकार “शिक्षा का अधिकार” और “स्मार्ट क्लासरूम” की बातें कर रही है, वहीं दूसरी ओर मालपुरा के इस सरकारी कॉलेज में 1500 से अधिक छात्र-छात्राएं हर रोज़ जर्जर छतों के नीचे जान हथेली पर लेकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं।
खंडहर में तब्दील हो चुका है शिक्षा का मंदिर
1996 में जब इस कॉलेज भवन का उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत और दिल्ली के मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा ने किया था, तब शायद किसी ने कल्पना नहीं की थी कि एक दिन यह इमारत इतनी बदहाल हो जाएगी कि छात्रों की ज़िंदगी पर ही बन आएगी।
आज आलम ये है कि भवन की दीवारों में गहरी दरारें हैं, छतों से प्लास्टर गिरता रहता है, कई जगहों पर आरसीसी की छड़ें नीचे को झूल रही हैं, और खिड़कियां टूटकर बाहर लटक रही हैं। कई कक्षाएं तो इस कदर खतरनाक हो गई हैं कि वहां बैठना आत्मघाती कदम जैसा लगता है।
प्रशासन और सरकार की लापरवाही की खुली पोल
कॉलेज प्रशासन ने कई बार भवन की स्थिति को लेकर स्थानीय प्रशासन, उच्च शिक्षा विभाग और राज्य सरकार को पत्र भेजे, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई। चार महीने पहले ही राज्य सरकार के मंत्री कन्हैयालाल चौधरी ने कॉलेज भवन की मरम्मत और विस्तार कार्य की घोषणा की थी। लेकिन न तो बजट आया, न कोई टेंडर निकला और न ही मरम्मत का एक ईंट तक रखा गया।
5 शिक्षक, 1500 छात्र – शिक्षा भी संकट में
कॉलेज में सिर्फ 5 शिक्षक और एक प्राचार्य कार्यरत हैं, जबकि छात्रों की संख्या 1500 से ऊपर है। इससे न केवल शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था भी चरमरा चुकी है। छात्रों को न पर्याप्त विषय मिल पा रहे हैं और न ही समय पर कक्षाएं।
छात्रों और अभिभावकों में भय और आक्रोश
कॉलेज में पढ़ रही एक छात्रा ने बताया, “हर दिन ऐसा लगता है कि कहीं से छत का हिस्सा गिर जाएगा। जब तेज हवा चलती है या बारिश होती है तो डर और बढ़ जाता है।”
वहीं, कई अभिभावकों ने सवाल उठाया है कि “क्या सरकार तभी जागेगी जब कोई बड़ा हादसा हो जाएगा?”
क्या किसी हादसे के बाद जागेगा प्रशासन?
मालपुरा जैसे कस्बे में यदि एकमात्र सरकारी कॉलेज की स्थिति यह है, तो यह पूरे शिक्षा तंत्र पर सवालिया निशान है। क्या 1500 छात्रों की ज़िंदगी तब तक जोखिम में रहेगी जब तक कोई अनहोनी न हो जाए? सरकार और शिक्षा विभाग को चाहिए कि तत्काल हस्तक्षेप कर मरम्मत कार्य शुरू कराए और छात्रों को सुरक्षित वातावरण प्रदान करे।