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फसल में अच्छी पैदावार के लिए डीएपी की बजाय सिंगल सुपर फॉस्फेट  का करें प्रयोग- सोलंकी

किसानों को सिंगल सुपर फॉस्फेट एवं एन पी के ग्रेड्स उर्वरक काम में लेने की सलाह
फसल में अच्छी पैदावार के लिए डीएपी की बजाय सिंगल सुपर फॉस्फेट  का करें प्रयोग- सोलंकी
जिले के उर्वरक निर्माता कम्पनी प्रतिनिधियों एवं थोक विक्रेताओं की बैठक सम्पन्न
टोंक, 10 अक्टूबर। रबी मौसम पूर्व कृषकों को गुणवत्ता युक्त उर्वरक उपलब्ध कराने, जिले में कृषि आदान की उपलब्धता एवं काला बाजारी को रोकने को लेकर जिले में उर्वरक निर्माता कम्पनी प्रतिनिधियों एवं जिले के थोक कृषि आदान विक्रेताओं की बैठक गुरूवार को आत्मा सभागार में आयोजित हुई जिसमें  किसानों को फसलों में डीएपी के स्थान पर सिंगल सुपर फास्फेट का उपयोग की सलाह दी गई।
बैठक में कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक कृषि वीरेन्द्र सिंह सोलंकी ने बताया कि किसान कृषि आदान विक्रेताओं के प्रतिष्ठान पर आने पर उन्हें सभी आदान विक्रेता सलाह देवे कि डीएपी के स्थान पर सिंगल सुपर फॉस्फेट अधिक उपयोगी है अतः सरसों, गेहूं, चना आदि फसलों में डीएपी के स्थान पर सिंगल सुपर फास्फेट उर्वरक का उपयोग करें। सिंगल सुपर फास्फेट एक फॉस्फोरस युक्त उर्वरक है, जिसमें 16 प्रतिशत फॉस्फोरस एवं 11 प्रतिशत सल्फर की मात्रा पायी जाती है। इसमें उपलब्ध सल्फर के कारण यह उर्वरक तिलहनी एवं दलहनी फसलों के लिये डीएपी उर्वरक की अपेक्षा अधिक लाभदायक होता है। सिंगल सुपर फॉस्फेट उर्वरक का उत्पादन राज्य में होने के कारण आसानी से उपलब्ध है। एक बैग डीएपी की कीमत में तीन बैग एसएसपी खरीदे जा सकते हैं।तीन बैग एसएसपी से मिलने वाले पोषक तत्वों का मूल्य लगभग 1900 रुपये होता है, जो एक बैग डीएपी में मिलने वाले पोषक तत्वों के मूल्य 1350रुपये से अधिक है। सिंगल सुपर फॉस्फेट के साथ यूरिया का उपयोग कर फसल बुवाई के समय आवश्यक नाइट्रोजन, फॉस्फोरस एवं सल्फर पोषक तत्वों की पूर्ति कम लागत में ही आसानी से की जा सकती है।एनपीके ग्रेड्स उर्वनकों के उपयोग द्वारा संतुलित पोषण प्राप्त किये जा सकते है जैसे नाइट्रोजन, फॉस्फोरस व पोटाश मुख्य पोषक तत्व है। फसलों में संतुलित पोषण के लिए डीएपी के बजाय एनपीके (नाइट्रोजन,फॉस्फोरस, पोटाश) ग्रेड्स उर्वरक अधिक उपयुक्त है। सिंगल सुपर फॉस्फेट से 16.5 किलोग्राम सल्फर अतिरिक्त मिलती है जिससे सरसों में तेल की मात्रा बढती है व उपज भी अधिक मिलती है। साथ ही सल्फर से फसल में प्रोटीन, विटामीन भी ज्यादा मिलते है। जो चना फसल के लिए आवश्यक है।
उपनिदेशक कृषि आत्मा दिनेश कुमार बैरवा में जिले में आगामी माह में कम्पनी की भावी योजना एवं जिले में अधिकतम मात्रा में उर्वरक किसानों को उपलब्ध कराने एवं उचित मूल्य पर विक्रय करने के निर्देश दिये। सहायक निदेशक दुर्गाशंकर कुम्हार ने जिले मंे उपलब्ध उर्वरक एवं समुचित वितरण पर जानकारी दी।
कृषि अधिकारी कजोड़ मल गुर्जर ने बताया कि किसान बुवाई के समय उर्वरक हमेशा कतार में ऊर कर देवे,खड़ी फसलों में सिफारिश अनुसार यूरिया छिटक कर देवे,उर्वरकों का उपयोग मृदा स्वास्थ्य कार्ड दी गई सलाह के आधार पर पर करें।नए युग के उर्वरक जैसे नैनो यूरिया आदि का उपयोग करें। इस अवसर पर कृषि आदान विक्रेता संघ के अध्यक्ष रामावतार मित्तल, चम्बल फर्टीलाइजर कंपनी कम्पनी से बीरेन्द्र सिंह राठौड़, ओस्तवाल कम्पनी से रामराज शर्मा, ताराचन्द गोयल, रोहित जिन्दल, नरेन्द्र विजय, कृष्ण गोयल, मनीष जैन देवड़ावास, कृष्ण कुमार गोयल, कमलेश भार्गव, बुद्धि प्रकाश नामा, हनुमान शर्मा, रामप्रसाद जाट, प्रदीप जैन भगवान दास, सहित अनेक थोक विक्रेता मौजूद थे।

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