मालपुरा को जिला बनाकर 33 साल से हार का आंकड़ा खत्म कर सकती है कोंग्रेस
संवेदनशील मुद्दे पर जन-जन की जबां पर एक ही चर्चा, हम सब का एक ही नारा-मालपुरा जिला बने हमारा
मालपुरा (टोंक) –
प्रदेश में सत्तासीन कांगे्रस एक बार हार एक बार जीत के मिथक को तोडने के भरपूर प्रयास में जुटी हुई है। पूर्व में राज्य सरकार द्वारा लागू की गई कल्याणकारी योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के बाद भी मुख्यमंत्री द्वारा लगातार एक के बाद एक जनहित व लोक लुभावनी घोषणाओं का क्रम अनवरत जारी है। अखिल भारतीय कांगे्रस कमेटी द्वारा विगत साढे चार वर्षो से चल रहे गहलोत-पायलट के शीत युद्ध पर भी विराम लगाकर साफ संदेश दिया गया है कि आपस में झगडा छोडकर किसी भी सूरत में प्रदेश में दूसरी बार कांगे्रस की सरकार बने। साथ ही दिल्ली में एआईसीसी द्वारा लगातार दोबारा से प्रदेश में कांगे्रस की सरकार बनाने के लिए माइक्रो मंथन किया जा रहा है, सर्वे ऐजेंसियों की मदद ली जा रही है तथा विभिन्न स्त्रोतों से योग्य एवं जीताउ प्रत्याशियों की खोज की जा रही है। एआईसीसी द्वारा संगठन को मजबूत करने की कवायद में रिक्त पडे पदों पर नियुक्तियां की जाकर पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने का प्रयास किया जा रहा है। कांगे्रस आलाकमान द्वारा 50 से अधिक ऐसी सीटे जहां कांगे्रस लगातार तीन बार से चुनाव हार रही है। उन सीटों पर जोड-तोड का गणित समझने के लिए सर्वे करवाए जा रहे है तथा इन सीटों पर जीत के लिए विशेष फोकस किया जा रहा है। ऐसी सीटो में राजधानी से महज 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मालपुरा-टोडारायसिंह विधानसभा स्थित है। जो कभी कांगे्रस की परम्परागत सीट रह चुकी है तथा इस सीट से जीतकर कांगे्रस नेता राजस्थान में इतिहास कायम कर चुके है। परम्परागत सीट पर कांगे्रस को लगातार 33 वर्षो से पराजय का सामना करना पड रहा है जिसमें दो बार निर्दलीय प्रत्याशी एवं तीन बार भाजपा प्रत्याशी चुनाव जीत चुके है। पिछले दस वर्षो से भाजपा के कन्हैया लाल चौधरी यहां से विधायक है। लेकिन इस बार यह सफर आसान नहीं है। प्रदेश में मुख्यमंत्री द्वारा 3 नए संभाग व 19 नए जिलों की घोषणा के बाद से ही जिला बनने की योग्यता रखने वाले शहरों व वंचित रहे इलाकों में जिला बनाने की मांग को लेकर क्षेत्रवासी आंदोलनरत है। इसी क्रम में मालपुरा को भी जिला बनाने की मांग को लेकर आमजन द्वारा पिछले चार माह से आंदोलन किया जा रहा है। आलम यह है कि मुख्यालय पर धरना, प्रदर्शन, ज्ञापन से शुरू हुआ यह आंदोलन अब जनांदोलन की शक्ल अख्तियार कर चुका है। मुख्यालय पर धरना, प्रदर्शन, ज्ञापन, बंद, जेल भरो आंदोलन, आमरण अनशन, सत्याग्रह के बाद गांव-गांव, ढाणी-ढाणी तक यह आग फैल चुकी है तथा ग्रामीणों द्वारा अपने-अपने क्षेत्रों में जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपकर मालपुरा को जिला बनाने की मांग की जा चुकी है। जिला बनाओं कोर कमेटी के तत्वाधान में रामलुभाया कमेटी, मुख्यमंत्री, बीसूका उपाध्यक्ष सहित राष्ट्रीय स्तर तक के नेताओं को ज्ञापन प्रेषित किए जा चुके है। जन-जन की आवाज बन चुके इस आंदोलन की स्थिति यह है कि यह मांग किसी भी राजनैतिक पार्टी की जीत का आधार तक बन सकती है। शिक्षा के समुचित प्रचार-प्रसार के बाद से जागरूक आमजन सर्वे सहित मौखिक रूप से अपने मत को जिला बनाने के समर्थन के प्रति समर्पित कर चुके है। ऐसे में आंदोलन के बाद मिल रहे आश्वासनों से उत्साहित क्षेत्रवासियों की मालपुरा को जिला बनाने की मांग और अधिक बलवती हो चुकी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा विधानसभा में पूर्व में घोषित जिलो की घोषणाओं को अमली जामा पहनाने के साथ नए जिलो की घोषणा में मालपुरा को शामिल कर पिछले 33 सालों से कांगे्रस की हार को जीत में बदलने का प्रयोग कारगर साबित हो सकता है। उल्लेखनीय है कि मालपुरा-टोडारायसिंह का गौरवशाली व समृद्ध इतिहास है तथा आजादी के समय से जिला रह चुका मालपुरा रियासतों के विलयीकरण के कारण जिले के ओहदे से वंचित किया गया था। जबकि आज भी मालपुरा हर तरह से जिला बनने की योग्यता रखता है। मालपुरा को जिला बनने के पक्ष में जो तर्क व तथ्य है वो अकाटय है तथा सभी मापदण्डों पर खरा उतरते है।
जयपुर रियासत के समय मालपुरा तहसील एक डिप्टी कमिश्नर मुख्यालय था, जिसका क्षेत्राधिकारी खेतडी तक फैला हुआ था। 1929 का पुलिस थाना, 1935 में हवाई पट्टी, कपास की मिले, गन्ने की भरपूर पैदावार, रियासतकालीन जयपुर से मालपुरा तक की रेल सेवा, जयपुर-अजमेर-भीलवाडा-बूंदी का मध्य केन्द्र, समृद्ध व्यापार मालपुरा की पहचान थी। राजस्थान के निर्माण से पहले मालपुरा जिला रह चुका है। टोंक एक बहुत छोटी रियासत थी, जिसका राजस्थान में विलीनीकरण होने पर वहां के नवाब से टोंक को जिला मुख्यालय रखे जाने की सहमति बनी थी। ऐसे में तत्कालीन सरकार ने मालपुरा को टोंक के साथ सम्मिलित कर दिया, जिसका मालपुरा के लोगों ने प्रदेश के हित में इस विलीनीकरण को सफल बनाने के लिए कोई प्रतिरोध नहीं किया गया था। हाल ही में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा प्रदेश में 19 नए जिले और 3 नए संभाग बनाए जाने की घोषणा ने राजस्थान में मांगों और आंदोलनों के पिटारा खोल दिया है। मालपुरा भी इससे अछूता नहीं है। चूंकि मालपुरा पूर्व में भी जिला रहा है। ऐसे में मालपुरा को जिला बनाए जाने की मांग पर आंदोलन सर्वदा अपेक्षित एवं उचित भी है।
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