सन्त समागम हरि कथा तुलसी दुर्लभ दोई,
सुत धारा धन लक्ष्मी पापी घर भी होई।
मालपुरा –
जहाँ सत्संग समागम होता है वहाँ की धरा पावन होती है।
आज मालपुरा के कृष्णा टाकीज में मुनीन्द्र धर्मार्थ ट्रष्ट कुरुक्षेत्र की ओर से सन्त रामपाल जी महाराज की अमृतवाणी रूपी सत्संग समागम हुआ।
सन्त जी ने सत्संग में बताया कि जब तक एक पूर्ण परमात्मा भक्ति नही करेंगे तब तक इस मृत्यु लोक से छुटकारा नही पा सकते। वेद, गीता हमारे मुख्य शास्त्र है ।इनके अनुसार भक्ति करने से शारीरिक, मानसिक, व आर्थिक लाभ प्राप्त होते हैं।
सच्चे सतगुरु से नाम दीक्षा लेकर भक्ति नही करेंगे तो यह मनुष्य जीवन व्यर्थ चला जायेगा। कबीर साहेब जी ने अपनी अमृतवाणी में बताते है कि-
कबीर, मानुष जन्म दुर्लभ है मिले न बारम्बार।
जैसे तरुवर से पत्ता टूट गिरे बहुर न लगता डार।।
साथ ही साथ समाज को नशे, दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों से दूर रहने का संदेश दिया गया।
लेखराम दास, सुरेश दास अजमेरा ने बताया कि समाज का उत्थान केवल सन्त रामपाल जी महाराज जी के सत्संग व उनके विचारों से होगा।