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मालपुरा में रेरा की खुली धज्जियां! प्रशासन की मिलीभगत या राजनीतिक संरक्षण का खेल?
मालपुरा (टोंक)। मालपुरा शहर में रेरा (रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी) के नियम अब मज़ाक बनकर रह गए हैं। कॉलोनाइज़र खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए बिना अनुमति के कॉलोनियां काट रहे हैं और प्रशासन आंख मूंदे बैठा है। शहर में अवैध कॉलोनियों का ऐसा जाल फैल गया है कि आम आदमी इसमें उलझकर रह गया है — न सड़कें, न नालियां, न पानी-बिजली की सुविधा।

सबसे बड़ी चिंता यह है कि इन कॉलोनियों को लेकर नगर पालिका प्रशासन पूरी तरह निष्क्रिय दिखाई दे रहा है। सूत्रों का कहना है कि कुछ कॉलोनाइज़र राजनीतिक संरक्षण में नियमों को ताक पर रखकर बेधड़क प्लॉटों की बिक्री कर रहे हैं और स्थानीय निकाय धृतराष्ट्र की भूमिका निभा रहा है।
हाल ही में दूदू रोड स्थित एक नई कॉलोनी को लेकर विवाद ने तूल पकड़ लिया है। नगर पालिका ने आवासीय कॉलोनी में पट्टा चाहने वालों के आवेदन पत्रों पर सार्वजनिक आपत्ति आमंत्रण की सूचना जारी की है, जबकि सूत्रों के अनुसार संबंधित कॉलोनी का रेरा रजिस्ट्रेशन तक नहीं हुआ है। नियमों के मुताबिक रेरा पंजीकरण के बिना कोई भी स्थानीय निकाय न तो प्लॉट का पट्टा जारी कर सकता है और न ही विकास कार्यों की स्वीकृति दे सकता है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि पालिका का यह कदम कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बजाय सिर्फ कागज़ी खानापूर्ति भर है ताकि बाद में किसी जांच में बचाव किया जा सके। कॉलोनी में मूलभूत सुविधाएं जैसे सड़क, नाली, पानी और बिजली तक उपलब्ध नहीं हैं, बावजूद इसके भूमि स्वीकृति और पट्टे की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा रही है।
शहर में चर्चाएं हैं कि कुछ प्रभावशाली कॉलोनाइज़र राजनीतिक संरक्षण में मनमाने तरीके से ज़मीनों की खरीद-फरोख्त कर रहे हैं। कई स्थानों पर भूमि उपयोग परिवर्तन (LUC) की प्रक्रिया पूरी किए बिना ही कॉलोनियां काट दी गईं और प्लॉट बेचे गए। क्या जनप्रतिनिधियों और प्रशासन के बीच “मौन सहमति” ने इन कॉलोनाइज़रों को खुली छूट दे रखी है?
रेरा कानून के अनुसार किसी भी डेवलपर के लिए कॉलोनी का पंजीकरण करवाना अनिवार्य है। इसके बावजूद नगर पालिका की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। शहरवासियों का कहना है कि बिना प्रशासनिक मिलीभगत के इतनी बड़ी स्तर पर नियमों की अनदेखी संभव ही नहीं है।
अब मालपुरा के नागरिक खुलकर आवाज़ उठा रहे हैं। समाजसेवी संगठनों ने प्रशासन से तत्काल जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। स्थानीय लोगों का कहना है — “रेरा तो खरीदार की सुरक्षा के लिए बना था, लेकिन मालपुरा में इसका दुरुपयोग हो रहा है। यहां खरीदार ठगा जा रहा है और कॉलोनाइज़र खुलेआम फायदा उठा रहे हैं।”
रेरा के प्रावधान स्पष्ट हैं कि बिना पंजीकरण कोई व्यक्ति कॉलोनी में प्लॉट, भवन या फ्लैट नहीं बेच सकता। उल्लंघन की स्थिति में डेवलपर पर भारी जुर्माना और सजा का प्रावधान है। इसके बावजूद मालपुरा में रेरा नियमों की खुलेआम अनदेखी हो रही है।
यदि प्रशासन ने समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए, तो आने वाले वर्षों में मालपुरा “अवैध कॉलोनियों का शहर” बन जाएगा। यह स्थिति न केवल नगर विकास को प्रभावित करेगी बल्कि भविष्य में सीवरेज, बिजली और सड़क जैसी बुनियादी योजनाओं के लिए भी गंभीर चुनौती बनेगी।
आमजन का कहना है कि रेरा, नगर पालिका और राजस्व विभाग को संयुक्त जांच समिति बनाकर इस पूरे प्रकरण की तहकीकात करनी चाहिए।
अब सवाल यह है —
क्या मालपुरा में रेरा के नियम सिर्फ कागजों में ही सीमित रह गए हैं?
क्या प्रशासन और राजनीति की मिलीभगत ने कानून को भी बेअसर कर दिया है?
और सबसे बड़ा सवाल — क्या कानून से ऊपर भी कोई है?