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आस्था पर आघात : झालरा तालाब में छोड़ा गंदा पानी, पालिका की कार्यशैली पर उठे सवाल

आस्था पर आघात : झालरा तालाब में छोड़ा गंदा पानी, पालिका की कार्यशैली पर उठे सवाल

मालपुरा (टोंक)। धार्मिक आस्था और ऐतिहासिक धरोहरों की उपेक्षा इन दिनों शहर की चर्चा का विषय बनी हुई है। जलझूलनी एकादशी से पूर्व जहां नगर पालिका प्रशासन गणगौरी मैदान की सफाई के नाम पर औपचारिकता निभा रहा है, वहीं दूसरी ओर गंदे पानी की निकासी सीधे ऐतिहासिक झालरा तालाब में करना आमजन की भावनाओं से खिलवाड़ माना जा रहा है। हिंदू परंपरा के अनुसार एकादशी पर ठाकुरजी को नगर भ्रमण के बाद पवित्र जलाशयों में स्नान और नौका विहार कराया जाता है। लेकिन तालाब में गंदे पानी का प्रवाह न केवल धार्मिक आस्था को ठेस पहुँचा रहा है, बल्कि प्रदूषण से जलीय जीवों के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है। यही नहीं, पालिका की कार्यशैली से केंद्र व राज्य सरकार के “वंदे गंगा जल संरक्षण जन अभियान” की सार्थकता पर भी सवाल उठ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, सिंघाड़ा नाड़ी क्षेत्र व झालरा स्कूल से सिंधी कॉलोनी वाली सड़क पर अवैध अतिक्रमण के चलते जल निकासी की समस्या खड़ी हुई। पहले कुछ लोगो द्वारा गंदे पानी का बहाव गणगौरी मैदान की ओर किया गया, लेकिन विरोध बढ़ने पर आनन-फानन में पालिका ने जेसीबी से पाइप डालकर उसका निकास झालरा तालाब में करवा दिया। उल्लेखनीय है कि झालरा तालाब प्राचीन समय से गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक है। इसकी पाल पर मंदिरों की घंटियाँ और मस्जिद की अजान दशकों से सांप्रदायिक एकता का संदेश देती आई हैं। ऐसे में तालाब में गंदे पानी का छोड़ा जाना केवल प्रशासनिक लापरवाही ही नहीं, बल्कि धार्मिक आस्था और ऐतिहासिक विरासत के साथ खिलवाड़ है।

अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन जिम्मेदारी तय करेगा या फिर आस्था और पर्यावरण से खिलवाड़ का यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा?

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