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कियोस्क किराए पर देकर आवंटी वसूल रहे किराया, पालिका प्रशासन बना मूकदर्शक

कियोस्क किराए पर देकर आवंटी वसूल रहे किराया, पालिका प्रशासन बना मूकदर्शक

कुछ आवंटियों ने तो कियोस्क का ही कर दिया बेचान

मालपुरा (टोंक)। बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराने के लिए मुख्यमंत्री रोजगार योजना 2002 – 03 के तहत नगर पालिका मालपुरा की ओर से आवंटित किए गए कियोस्क आवंटियों के बजाय कोई और ही चला रहे हैं। वहीं आवंटी खुद कियोस्क में रोजगार करने के बजाय इसे किराए पर देकर अच्छी खासी रकम वसूल रहे हैं। यह खेल पिछले कई सालों से चला आ रहा है। लेकिन नगर पालिका अधिकारी सब कुछ जानते हुए भी आंखें मूंदे बैठे हैं। ऐसे में अगर इन कियोस्क को जरूरतमंद लोगों को आवंटित किया जाता है तो उन्हें रोजगार के साथ साथ परिवार की रोजी रोटी भी मिल सकती है। सूत्रों के अनुसार शहर के रोडवेज बस स्टैंड व जलदाय विभाग के पास, पंचायत समिति के सामने कुछ ऐसा ही खेल चल रहा है। उक्त तीनों जगहों पर लगभग 100 कियोस्क बने हुए हैं और बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए इनका आवंटन भी हो रखा है। लेकिन मौजूदा समय में इन कियोस्को मे दुकान चलाने वाले आवंटी गिनती के ही हैं। जो भी दुकान चला रहे हैं, उनमें से कुछ आवंटियों को छोड़कर बाकी ने आवंटियों से कियोस्क किराए पर ले रखे हैं या खरीद रखे हैं। आवंटी हर महीने यहां आते हैं और दुकानदारों से किराया वसूलकर चले जाते हैं। हालांकि हाल ही में नगर पालिका प्रशासन द्वारा प्रस्तावित नवीन बस स्टैंड को लेकर जलदाय विभाग के पास स्थित कियोस्को को धराशायी कर दिया है।
नगर निकायों में मुख्यमंत्री रोजगार योजना के तहत ऐसे कियोस्क बनाकर बेरोजगारों को रोजगार मुहैया करवाना योजना का मुख्य उद्देश्य था, लेकिन आवंटियों की ओर से खुद रोजगार करने के बजाय इन्हें किराए पर दे रखा है। ऐसे में जरूरतमंद बेरोजगारों को इस योजना का कोई फायदा नहीं मिल रहा है। गौरतलब है कि नगर पालिका की ओर से आवंटित ये कियोस्क मूल रूप से आवंटी ही चला रहे हैं या कोई और इस बारे में अधिकारियों ने कभी जांच पड़ताल तक नहीं की। जिसके कारण आवंटी भी इसे किराए पर देकर रुपए वसूल रहे हैं। ऐसे में अगर अधिकारी समय पर इसकी जांच करें तो जरूरतमंद बेरोजगारों को इसका फायदा मिल सकता है।
नगर पालिका की ओर से शहर के रोडवेज बस स्टैंड, जलदाय विभाग, पंचायत समिति के सामने बनाए गए कियोस्क आवंटन तो किए गए, लेकिन इनमें से अधिकतर कियोस्कधारी कहीं और ही कामकाज कर रहे हैं। जबकि उनका खुद का कियोस्क किसी और को किराए पर दे रखा है। जानकारी के अनुसार कियोस्क आवंटन की कुछ शर्तें और नियम भी थे। आवंटी को ये कियोस्क केवल व्यवसायिक उपयोग के लिए आवंटित किया गया था और इस कियोस्क पर उसका कोई मालिकाना हक नहीं होगा। वहीं वह उसका किसी भी तरह हस्तांतरण भी नहीं कर सकता। आवंटी कियोस्क में किसी प्रकार का कोई परिवर्तन या रूपांतरण नहीं कर सकता। आवंटी को पूरी राशि एक साथ जमा कराने पर 10 साल के लिए लाइसेंस दिया जाता है। वहीं यह राशि आवंटी को किसी भी हालत में लौटाई नहीं जा सकती। आवंटी के प्रार्थना पत्र में कोई भी विवरण झूठा या गलत पाया जाता है तो बिना किसी पूर्व सूचना के आवंटन निरस्त किया जा सकता है। संबंधित निकाय जनहित में कभी भी आवश्यकता पडऩे पर कियोस्क का स्थान परिवर्तित करने के लिए स्वतंत्र है आवंटी इसे मानने के लिए बाध्य रहेगा। कियोस्क का कब्जा पाने की तिथि से 2 माह के भीतर आवंटी को उसके द्वारा उल्लेखित व्यवसाय शुरू करना होगा। अन्यथा आवंटन स्वत: ही निरस्त समझा जाएगा। कियोस्क का पुन: आवंटन करने का अधिकार संबंधित निकाय को होगा। आवंटी द्वारा कियोस्क के आस पास या शहर में कहीं भी अतिक्रमण पाया जाता है तो उसका आवंटन निरस्त कर दिया जाएगा। आवंटी कियोस्क को खुद के व्यवसाय के अलावा अन्य प्रयोजनार्थ उपयोग में नहीं ले सकेगा और न ही किसी अन्य को उपयोग करने देगा। साथ ही किराए पर, साझेदारी या विक्रय भी नहीं कर सकेगा। लेकिन मालपुरा में कियोस्क आवंटियों ने तो कियोस्क को या तो किराए पर दे रखा है या फिर कियोस्क बेच ही दिया है। लेकिन स्थानीय पालिका प्रशासन ने आज तक इन कियोस्को की जांच तक नही करवाई। जो पालिका प्रशासन की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़ा करती है।
पालिका के एक पूर्व पार्षद ने नाम नही छापने की शर्त पर बताया कि हमारे समय जब इन कियोस्को का आवंटन पालिका प्रशासन द्वारा किया गया था, उसमे भी धांधली की गई थी। तत्कालीन राजनैतीक प्रभावशाली लोगों ने और जनप्रतिनिधियों ने अपने रिश्तेदारों या अपने खास अजीज लोगों को ही प्राथमिकता दी। जिससे जो वास्तविक हकदार थे, उन लोगों को इस योजना का फायदा नही मिल सका। पूर्व पालिका पार्षद का कहना है कि इन कियोस्को का आवंटन 10 वर्ष के लिए ही किया गया था। पालिका प्रशासन को पुनः आवंटन प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। और जो वास्तविक बेरोजगार है, उन लोगों को प्राथमिकता देते हुए कियोस्को का आवंटन किया जाना चाहिए।

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