“मेरे शहर का हाल-ए-गज़ब” हमारे शहर में सब कुछ है- बिजली है, मगर कभी आती है, कभी जाती है… ठीक वैसे ही जैसे नेताओं के वादे । सड़कें भी हैं, लेकिन गूगल मैप भी उन्हें ढूँढने में फेल हो जाता है। गड्ढों ने बाकायदा यूनियन बना रखी है- “गड्ढा विकास …
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“होइहि सोइ जो राम रचि राखा।”… (व्यंग्य लेख)
“होइहि सोइ जो राम रचि राखा।”… (व्यंग्य लेख) अबकी बार शहर में त्रिलोकीनाथ की यात्रा इस बार ऐसी भव्यता के साथ निकली कि लगता था सड़कों पर गड्ढों के बजाय गुलाब के कोमल पुष्प बिखेर दिए गए हो। पहली बार बिछी लाल-हरी दरी पट्टियाँ गुलाब के फूल के होने का …
Read More »“पटरी रहित समझौता एक्सप्रेस भाग – 2… अदालत का लाल सिग्नल
“पटरी रहित समझौता एक्सप्रेस भाग – 2…अदालत का लाल सिग्नल मालजी की नगरी में फिल्मों की तरह हर कहानी का सीक्वल बनता है। बाहुबली और पुष्पा को भूल जाइए, यहां की पटरी रहित समझौता एक्सप्रेस का भी भाग 2 आ ही गया। अरे भाई, ये कोई आम गाड़ी थोड़े ही …
Read More »“पटरी रहित समझौता एक्सप्रेस”
“पटरी रहित समझौता एक्सप्रेस” मालजी की नगरी में चमत्कार होना अब कोई खबर नहीं रहा, बस चमत्कार का ठेका किसके पास है, यही असली खबर है। कभी यहां चुंगी नाका पर पत्रकार पाठशाला चलती थी- जहां कलम की नोक पर खबरें नाचती थीं और दिग्गज पत्रकारों का आना-जाना ऐसा था …
Read More »“अधिकारी जी और एपीओ की दिवाली”…
“अधिकारी जी और एपीओ की दिवाली”… मालजी की नगरी का भी क्या कहना..? देखिए ना इस बार सावन-भादो में भी दीपावली मन गई। कारण ? न कोई त्योहार, न सरकारी बोनस बस एक अफवाह! अफवाह ये कि अधिकारी जी को एपीओ कर दिया गया है। अब, मालजी की नगरी के …
Read More »“रामराज्य 2.0: गड्ढों में विकास, अफसरों में अहंकार”
“रामराज्य 2.0: गड्ढों में विकास, अफसरों में अहंकार” रामराज्य की रील, रियल में गड्ढों का खेल! कभी सुना था कि रामराज्य में जनता सुखी होती है, राजा न्यायप्रिय और सेवक स्वाभिमानी। लेकिन आज जो रामराज्य चल रहा है, उसमें अफसर ही राजा हैं, नेता “नजरबंद महापुरुष” हैं, और पत्रकार अगर …
Read More »“रुई के पेच, मलाई के ख्वाब और विकास का स्विमिंग पूल”
“रुई के पेच, मलाई के ख्वाब और विकास का स्विमिंग पूल” लगता है मेरे शहर को किसी की नजर लग गई है… नहीं तो अचानक ये सब क्या हो गया? यहाँ न नेता पहले कभी इतने दुखी दिखे, न अफसर इतने मौन हुए, न जनता इतनी शांत ! और अब …
Read More »“बधाई या भय? – किन्नरों की तालियों से थर्राता समाज”
“बधाई या भय? – किन्नरों की तालियों से थर्राता समाज” (एक व्यंग्य जो हमें सोचने के लिए मजबूर करें) कभी किन्नरों की ताली ‘बधाई’ कहलाती थी — आज वही ताली ‘धमकी’ जैसी लगने लगी है। घर में बच्चा हो, शादी हो या गृह प्रवेश। अब लोग सबसे पहले पूछते हैं …
Read More »“सावधान! मेरे शहर में आपका स्वागत है”……(मन की बात)
“सावधान! मेरे शहर में आपका स्वागत है”…..(मन की बात) यदि आप हमारे शहर में आने की सोच रहे हैं, तो कृपया यह लेख दो बार पढ़ लें-एक बार दिल से और एक बार दिमाग से। क्योंकि यह शहर कोई साधारण शहर नहीं, यह एक “बड़ा सोचो, थोड़ा करो” अभियान का …
Read More »मोहम्मद तौफीक नकवी – एक समर्पित चिकित्सा सेवक और सामाजिक कार्यकर्ता (जन्मदिन पर विशेष…)
मोहम्मद तौफीक नकवी – एक समर्पित चिकित्सा सेवक और सामाजिक कार्यकर्ता (जन्मदिन पर विशेष…) नाम: मोहम्मद तौफीक नकवी पिता का नाम: श्री शराफत अली स्थायी निवास: मोहल्ला सादात, मालपुरा जिला टोंक (राजस्थान) प्रारंभिक जीवन एवं पृष्ठभूमि: मोहम्मद तौफीक नकवी, मालपुरा के मोहल्ला सादात में जन्मे एक सादगीपूर्ण, संवेदनशील और सेवा-भाव …
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