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15 साल बाद भी न्याय अधर में—मालपुरा के ढहे शौचालयों की जांच फाइल लापता, जिम्मेदार आज तक बेनकाब ?
मालपुरा (टोंक)। शहर के ट्रक स्टैंड क्षेत्र और वाल्मीकि कॉलोनी को झकझोर देने वाली वह घटना 15 वर्षों बाद भी अनुत्तरित सवालों के बोझ तले दबी हुई है। 12 दिसंबर 2010 की रात भूमाफियाओं द्वारा वर्षों पुराने सार्वजनिक शौचालयों को जेसीबी से ढहा दिया गया था। सुबह जब लोगों ने मलबा देखा तो गुस्सा फूट पड़ा। स्थानीय नागरिकों और वाल्मीकि समाज ने तत्कालीन कार्यवाहक अधिकारी रामगोपाल चौधरी को ज्ञापन सौंपकर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की थी।
नगरपालिका ने मामले की जांच के लिए बाबूलाल नामक अधिकारी को जांच अधिकारी नियुक्त किया था। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से 15 साल बाद भी जांच रिपोर्ट का कोई निशान तक नहीं, न कोई कार्रवाई हुई, न ही यह सामने आ पाया कि उस रात असल जिम्मेदार कौन थे।
सूत्रों के अनुसार, पूरी जांच फाइल आज तक ट्रेस नहीं हो पाई। न रिपोर्ट पेश हुई, न ही जांच अधिकारी को कभी जवाबदेह ठहराया गया।
इस बीच, जिस भूमि पर सार्वजनिक शौचालय मौजूद थे, वह अब पूरी तरह व्यावसायिक दुकानों में बदल चुकी है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह मामला सिर्फ शौचालय ढहाने का नहीं बल्कि “सार्वजनिक भूमि को निजी हितों में बदलने” का साफ उदाहरण है।
क्षेत्रवासियों के मन में आज भी सवाल जिंदा हैं—
जांच फाइलें आखिर गायब कैसे हो गईं?
दोषियों की पहचान क्यों नहीं उजागर हुई?
सार्वजनिक भूमि पर दुकानें किसकी अनुमति से बनीं?
लोगों का कहना है कि यह घटना सिस्टम में गहरे बैठे भ्रष्टाचार और फाइलें दबाने की मानसिकता का प्रतीक है।
स्थानीय नागरिकों की मांग है कि नगरपालिका इस मामले को पुनः खोले, जांच दोबारा हो और असल जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
15 साल बाद भी जनता के मन में एक ही सवाल गूंज रहा है—
“आखिर जिम्मेदार कौन है ?”
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