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पट्टा घोटाले में घिरी नगर पालिका मालपुरा — सार्वजनिक शौचालय तक ‘बेच’ डाले!

पट्टा घोटाले में घिरी नगर पालिका मालपुरा — सार्वजनिक शौचालय तक ‘बेच’ डाले!

कानून की धज्जियां उड़ाकर जारी किए गए नियमविहीन पट्टे, आखिर किसकी मिलीभगत से रचा गया यह खेल?

मालपुरा (टोंक)। नगर पालिका मालपुरा एक बार फिर विवादों में है। पट्टे जारी करने में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी के खुलासे ने पालिका की कार्यशैली और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि पालिका ने सार्वजनिक शौचालय की भूमि तक का पट्टा जारी कर दिया।
हालांकि दबाव में आकर प्रशासन ने एक विवादित पट्टा रद्द कर दिया, मगर इस कार्रवाई ने भ्रष्टाचार की परतों को और गहरा कर दिया है।

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इंद्रा कॉलोनी में नियमविहीन पट्टा

सूत्रों के अनुसार, रेलवे स्टेशन स्थित इंद्रा कॉलोनी में भूखंड संख्या 150 का पट्टा 13 जनवरी 2023 को विद्या देवी पत्नी जयप्रकाश सिंधी के नाम जारी किया गया था।
स्वायत्त शासन विभाग (डीएलबी) की जांच में यह पट्टा राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 73(बी) के तहत नियमों के विपरीत पाया गया। विभाग ने ऐसे सभी अनियमित पट्टे निरस्त करने के आदेश दिए थे।

सार्वजनिक शौचालय की भूमि पर भी पट्टा

3 जुलाई 2023 को नगर पालिका ने सार्वजनिक शौचालय की भूमि का भी पट्टा जारी कर दिया, जबकि उस स्थान पर पुराना शौचालय मौजूद था। मामला मीडिया में आने के बाद 20 अक्टूबर 2023 को पालिका ने उप पंजीयक कार्यालय को पट्टा रजिस्ट्री निरस्त करने का पत्र भेजा।
फिर भी सवाल वही – अगर पट्टा निरस्त हो गया था, तो वहां पक्के निर्माण कैसे खड़े हो गए?
नगर पालिका ने अवैध निर्माण रोकने के लिए क्या कार्रवाई की? दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई?

ट्रक स्टैंड का पुराना सार्वजनिक शौचालय भी गायब

केकड़ी रोड ट्रक स्टैंड क्षेत्र में बने पुराने सार्वजनिक शौचालयों को भी तोड़ दिया गया। अब उस जमीन पर निजी निर्माण खड़े हैं।
स्थानीय लोगों ने उस समय कई बार विरोध जताया और ज्ञापन सौंपे, लेकिन पालिका प्रशासन ने कोई संज्ञान नहीं लिया। जबकि ट्रक स्टैंड क्षेत्र में यह एकमात्र सार्वजनिक शौचालय था। लेकिन इसका भी मिलीभगत के चलते नामोनिशान मिटा दिया गया।

नई योजनाएं, पुराने सवाल

इधर स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के तहत कैबिनेट मंत्री कन्हैयालाल चौधरी की अभिशंसा पर तीन नए महिला शौचालयों की मंजूरी मिली है, जिन पर करीब ₹21 लाख प्रति शौचालय खर्च होंगे।
लेकिन जब पुराने सार्वजनिक शौचालय ही सुरक्षित नहीं रखे गए, तो नई मंजूरियों की पारदर्शिता पर भी सवाल उठना स्वाभाविक है।

सैकड़ों पट्टों में गड़बड़ी का अंदेशा

सूत्र बताते हैं कि इंद्रा कॉलोनी, रेलवे स्टेशन और आसपास के क्षेत्रों में सैकड़ों पट्टे इसी तरह नियमों की अनदेखी कर जारी किए गए हैं। भूखंड संख्या 150 का पट्टा रद्द हुआ, मगर उसके आसपास जारी पट्टों की जांच अब तक नहीं हुई।

जनता का सवाल – जिम्मेदार कौन?

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यदि इन सभी पट्टों की निष्पक्ष जांच कराई जाए तो करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार सामने आ सकता है।
लोगों का सवाल है – “जब शौचालय की जमीन तक बेची जा सकती है, तो आम नागरिक की जमीन कैसे सुरक्षित रहेगी?”

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