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जादूगर का जादू हाथ का कमाल है, किया यह तुमने कैसे, सबका यह सवाल है…..

जादूगर का जादू हाथ का कमाल है, किया यह तुमने कैसे, सबका यह सवाल है…..

मालपुरा- फिल्मी और राजनीतिक जगत एक दूसरे से बहुत मिलते जुलते है | फिल्मी दुनिया के कलाकार हर फिल्म में नए नए रोल अदा करते हैं। यानी हर फिल्म में उनका किरदार अलग हो जाता है। वैसे ही राजनीतिक क्षेत्र में नेताओं के किरदार भी बदलते रहते हैं। हर चुनावी मौसम में नेताजी अलग अलग मुद्दा लाकर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की कोशिश करते हैं। अब एक नए नेताजी की एंट्री राजनीति में हुई है जो नेताजी कम और व्यापारी ज्यादा है। नेताजी गांव गांव में जाकर चरागाह को खत्म करने की बात करते हैं। कहते हैं कि चरागाह पर कब्जा केवल स्थानीय लोगों का ही होना चाहिए। खैर नेताजी का कहना भी ठीक ही है। लेकिन नेताजी खुद भी प्रवासी स्थानीय हैं। नेताजी के कदम हमेशा गांव से बाहर ही रहते हैं। नेताजी ने चुनावी मौसम में गांव में डेरा जमा लिया और खुद को स्थानीय साबित करने में लगे हुए हैं। अरे साहब ! प्रवासी और स्थानीय में जमीन आसमान का अंतर है। नेताजी का साथ देने के लिए नेताजी ने अपने प्रवासी रिश्तेदार के हाथ में जादू की छड़ी पकड़ा दी है। प्रवासी जादूगर की छड़ी का कमाल तिरंगी झंडी वाले पचा नहीं पा रहे है । तिरंगी झंडी वाले जादू की छड़ी को लेने दिल्ली तक चक्कर काटते रहे लेकिन प्रवासी जादूगर ने पता नही कैसा जादू चलाया कि मालदेव की नगरी के चाणक्यमुनि कहलाने वालों की चाणक्य नीति भी टिक नही पाई । अब चाणक्य और चाणक्य दल के सभी कार्यकर्ता यही सोच रहे हैं कि …. जादूगर का जादू हाथ का कमाल है, किया यह तुमने कैसे, सबका यह सवाल है…. (सम्पादकीय लेख)

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