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व्यक्ति नहीं सभ्यता का विनाशक है तम्बाकू।

व्यक्ति नहीं सभ्यता का विनाशक है तम्बाकू।

लाम्बाहरिसिंह –

हर साल 31 मई को ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ मनाया जाता है। इस खास दिन पर तंबाकू के सेवन से होने वाले नुक़सान को ‌लेकर जागरूकता फैलाई जाती है कि किस तरह तम्बाकू शरीर को नुकसान पहुंचाता है।
विश्व तंबाकू निषेध दिवस 31 मई के अवसर पर कस्बे स्थित मानव मित्र मण्डल सेवा संस्थान ने भी कार्यशाला आयोजित कर युवाओं का तम्बाकू के सेवन से बचने के लिए प्रेरित कर तम्बाकू से होने वाले नुक़सान की जानकारी दी।
संस्थान संस्थापक नोरत ‌मल वर्मा ने तम्बाकू सेवन के नुकसान बताते हुए तम्बाकू के सेवन की रोकथाम पर कोई प्रभावी कार्यवाही न होने पर नाराज़गी जताई। उन्होंने कहा कि व्यक्ति नहीं सभ्यता का विनाशक है तम्बाकू। तंबाकू शरीर के हर हिस्से को नुकसान पहुंचाती है।मुख, फैफडे, पेट का कैंसर होता है। गुटखा खाने से मुंह खुलना बंद हो जाता है।

ल्यूकोप्रेंकिया कैंसर के पूर्व की अवस्था है। इसमें यदि मुंह में कोई छाला या गठान हो जो तीन हफ्ते से अधिक समय से हो, सामान्य उपचार से ठीक न हो रहा हो तो नजदीकी अस्पताल में जांच करवानी चाहिए। बीडी,सीगरेट, गुटखा, पान-मसाले का सेवन युवा, महिलाओं, बच्चों की जिंदगियां खत्म कर रहा है।

तम्बाकू सेवन की रोकथाम के लिए सालभर तक तो कोई प्रभावी कार्रवाई नही होती है।सार्वजनिक स्थानों पर धूमपान को प्रतिबंधित किया गया है।ऐसा करते पाए जाने पर 200 रुपये के जुर्माने का प्रविधान भी है, लेकिन शहर या जिले में कभी कोई चालानी कार्रवाई देखने को नहीं मिली। कुल मिलाकर तंबाकू उत्पादों की ब्रिकी और उपयोग धड़ल्ले से जारी है, जबकि विभाग खानापूर्ति कर तंबाकू नियंत्रण की बात करते हैं।
वार्ड पंच सीताराम बैरवा ने कानूनी जानकारी बताते हुए कहा कि तम्बाकू विक्रेता बच्चों को तंबाकूू उत्पाद बेचने में भी नहीं करते संकोच। अकसर देखने में आता है कि पान की दुकानों पर बड़ों के अलावा छोटे बच्चों को भी गुटखा, पाउच, सिगरेट लेने के लिए भेज दिया जाता है। दूसरी ओर विक्रेता ऐसे बच्चों को भी सामग्री बेचने में संकोच नहीं करते हैं।

कई बच्चे चोरी-छुपे गुटखा पाऊच खरीदकर खाते हैं, लेकिन उन पर भी कोई ध्यान नहीं देता है।स्कूलों के आसपास या 200 मीटर के दायरे के बाहर पान मसाले के नाम पर तंबाकू उत्पाद बेखौफ बेच दिए जाते हैं।न तो कभी कोई टीम पहुंचती है और न कार्रवाई होती है।नतीजा यह है कि गुटखा-पाऊच की कई दुकानें सड़क किनारे और स्कूलों से कुछ दूरी पर सज गई हैं।सार्वजनिक स्थानों पर भी लोग सिगरेट के कश लगाते हुए देखे जा सकते है लेकिन इन पर कोई कार्यवाही नहीं होती है।
यह है कानून तंबाकू उत्पादों की खुलेआम बिक्री और इसके सार्वजनिक स्थानों पर उपयोग को लेकर कभी कोई कार्रवाई नहीं होती है।यहां तक की सिगरेट एंड अदर टोबोको प्रिवेंशन एक्ट (कोटपा एक्ट) 2003 की धारा 4 में सार्वजनिक स्थानों पर ध्रुमपान प्रतिबंधित है। 200 रुपये जुर्माना करने का प्रविधान है। धारा 5 में तंबाकू विज्ञापन प्रतिबंधित है।

6 (अ) में 18 साल से कम आयु वाले व्यक्ति को तंबाकू बेचना मना है।6 (ब) में शैक्षणिक संस्थानों से 200 मीटर के अंदर तंबाकू उत्पादकों का विक्रय नहीं किया जा सकता।धारा 7 में तंबाकू कंपनियां किसी भी गतिविधि को प्रयोजित नहीं कर सकती है।
कार्यशाला में संस्थान संस्थापक नोरत ‌मल वर्मा, सचिव संजय कुमार पाराशर, सदस्य ज्ञानवीर सिंह,भवानीशंकर तगाया,रामलाल रेगर ,कालु वर्मा सहित कई लोग उपस्थित रहे।

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