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55 साल बाद लापता बुजुर्ग की ऐतिहासिक सफल घर वापसी — “एक प्रयास घर वापसी का अभियान” ने फिर लिखी इंसानियत की मिसाल
मालपुरा (टोंक)। बीते 55 वर्षों से लापता 78 वर्षीय बुजुर्ग दिलदार सिंह की अपने परिवार से ऐतिहासिक घर वापसी ने सभी को भावुक कर दिया। यह अनोखी सफलता “एक प्रयास घर वापसी का अभियान” के संस्थापक मालपुरा निवासी रजनीश जैन मैंदवास्या, दिल्ली पुलिस के एएसआई अजय झा, समाजसेवी जितेंद्र सुमन और “अपना घर आश्रम” भरतपुर के नेत्रपाल सिंह के संयुक्त प्रयास से संभव हुई।

रजनीश जैन ने बताया कि अपना घर आश्रम भरतपुर से “एक प्रयास घर वापसी का अभियान” को 78 वर्षीय दिलदार सिंह का मामला प्राप्त हुआ था। बुजुर्ग ने परिवार और जन्मस्थान से जुड़ी बहुत पुरानी और अधूरी जानकारियाँ दी थीं। जांच का जिम्मा दिल्ली पुलिस के एएसआई अजय झा को सौंपा गया। जब उन्होंने छानबीन शुरू की तो पता चला कि जिन दुकानों और इलाकों का उल्लेख बुजुर्ग कर रहे थे, वे अब अस्तित्व में नहीं हैं — वहां 20 साल पहले तक के निशान भी मिट चुके थे। मामला लगभग असंभव लगने लगा, पर टीम ने हार नहीं मानी।
लगातार 7 दिन की अथक खोजबीन और प्रयासों के बाद आखिरकार दिलदार सिंह के भाई और बहन का पता लगाया गया। परिवार से बात करने पर पता चला कि दिलदार सिंह ने मानसिक तनाव के चलते मात्र 23 वर्ष की उम्र में घर छोड़ा था और तब से उनका कोई पता नहीं चला था।
जांच के दौरान समाजसेवी जितेंद्र सुमन ने भी सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने स्थानीय पार्षद मंगत राम जी से संपर्क कर क्षेत्र से जुड़ी जानकारियाँ जुटाईं, जिससे परिवार की पहचान सुनिश्चित करने में बड़ी मदद मिली।
बुजुर्ग दिलदार सिंह ने बताया कि इन 55 वर्षों में उन्होंने उत्तर भारत के कई राज्यों — दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान — में भटकते हुए जीवन बिताया। कभी सड़कों पर तो कभी गुरुद्वारों और आश्रमों में शरण लेकर उन्होंने जीवन के कठिनतम दौर झेले। हाल ही में वे भरतपुर स्थित अपना घर आश्रम पहुंचे, जहाँ प्रभारी नेत्रपाल सिंह और काउंसलिंग टीम ने उनसे विस्तार से बातचीत कर उनके अतीत की कड़ियाँ जोड़ने का प्रयास किया।
जैसे ही वीडियो कॉल के माध्यम से दिलदार सिंह की उनके भाई से बात कराई गई, परिवार की आंखें खुशी और आंसुओं से भर उठीं। वर्षों बाद अपने गुमशुदा सदस्य को देखकर परिवार ने उन्हें तुरंत पहचान लिया और भावुक माहौल में भरतपुर पहुंचकर उन्हें अपने साथ घर ले गए।
इस अनोखे अभियान की सफलता ने यह सिद्ध किया कि अगर जज्बा और मानवीय संवेदना जीवित हो, तो असंभव भी संभव बन जाता है। एएसआई अजय झा, एक प्रयास घर वापसी का अभियान, अपना घर आश्रम भरतपुर की टीम और समाजसेवी जितेंद्र सुमन इस कार्य के लिए हार्दिक धन्यवाद और सम्मान के पात्र हैं।
यह क्षण न केवल दिलदार सिंह और उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए भावनात्मक और प्रेरणादायक उदाहरण बन गया है — इंसानियत, उम्मीद और मानवीय जुड़ाव की जीवंत मिसाल।
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