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रुई पेच में फंसा बड़ा पेच: मालपुरा में पहली बार दस्तक दे सकती है ईडी

रुई पेच में फंसा बड़ा पेच: मालपुरा में पहली बार दस्तक दे सकती है ईडी

मालपुरा (टोंक) मालपुरा के बहुचर्चित रुई पेच – श्रीमाल जिनिंग फैक्ट्री भूमि प्रकरण में अब नया और बड़ा मोड़ आ गया है। मामला सिर्फ नगर पालिका तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अब इसकी परतें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के दरवाजे तक जा पहुंची हैं। सूत्रों की मानें तो यह पहली बार होगा जब मालपुरा जैसे कस्बे में ईडी की आधिकारिक एंट्री हो सकती है।
शुक्रवार को मालपुरा नगर पालिका के पार्षदों का एक प्रतिनिधिमंडल जयपुर में ईडी कार्यालय पहुंचा और अधिकारियों को पूरे प्रकरण की दस्तावेजी जानकारी सौंपी। शिकायत में कहा गया है कि श्रीमाल जिनिंग फैक्ट्री की भूमि पर कथित रूप से फर्जी लेआउट स्वीकृति, गुपचुप प्रक्रियाएं और पालिका को करोड़ों रुपये की संभावित आर्थिक क्षति हुई है।

ईडी मांग सकती है रिकॉर्ड, हलचल तेज

सूत्रों की माने तो प्रारंभिक जांच में मामला गंभीर वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता प्रतीत हो रहा है। इसी के चलते प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा संबंधित विभागों से दस्तावेजों की मांग की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। यदि जांच आगे बढ़ती है, तो यह मालपुरा के प्रशासनिक इतिहास में पहली बार होगा जब ईडी जैसी केंद्रीय जांच एजेंसी किसी मामले में सक्रिय होगी।

राज्य स्तर पर गूंजने की तैयारी

स्थानीय जागरूक नागरिकों का मानना है कि यदि इस मामले की जांच में गहराई जाती है तो यह न केवल स्थानीय प्रशासन बल्कि कई प्रभावशाली चेहरों की संलिप्तता को भी उजागर कर सकता है। संभावनाएं हैं कि यह प्रकरण जल्द ही राज्य स्तरीय राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में हलचल मचाएगा।

जनता में भी बेचैनी

उधर, आमजन और स्थानीय नागरिकों में भी इस पूरे घटनाक्रम को लेकर गहरी उत्सुकता और चिंता है। कई लोगों का कहना है कि अगर सचमुच करोड़ों की भूमि लूट का पर्दाफाश होता है, तो दोषियों पर कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए।

क्या है पूरा मामला :

प्रकरण के अनुसार, जयपुर रोड पर नगर पालिका की करीब 9 बीघा जमीन वर्षों पहले भंवर लाल श्रीमाल को श्रीमाल जिनिंग फैक्ट्री के नाम से सशर्त लीज पर दी गई थी। हालांकि, लीज की शर्तों के अनुसार कार्य संचालित न होने पर राज्य सरकार ने लीज निरस्त कर जमीन को पालिका के कब्जे में लेने के आदेश दिए थे।

सूत्रों के मुताबिक मिलीभगत के चलते पालिका अधिकारियों ने इन आदेशों पर जानबूझकर आंखें मूंद लीं। लीजधारक की मृत्यु के बाद भी इस बेशकीमती जमीन पर कब्जा बनाए रखने के लिए झूठे शपथ पत्र देकर लीज जारी रखी गई। जबकि, पालिका बोर्ड ने अपनी बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर श्रीमाल जिनिंग फैक्ट्री की जमीन से लीज निरस्त कर उसे पालिका के कब्जे में लेने का निर्णय किया था।

बड़ा दावाः पालिका को मिल सकते थे 250 करोड़ रुपए

पार्षदों ने यह भी दावा किया है कि यदि इस बेशकीमती जमीन की पारदर्शी नीलामी पालिका स्तर पर होती, तो इससे 200 से 250 करोड़ रुपए तक की आमदनी संभव थी। यह राशि पूरे कस्बे के विकास को नई दिशा दे सकती थी। सूत्रों के अनुसार, पहले इस भूमि का आवासीय लेआउट गुपचुप तरीके से स्वीकृत करा लिया गया था, जिसकी जानकारी न तो नगर पालिका बोर्ड को थी और न ही आमजन को। विरोध के बाद वरिष्ठ नगर नियोजक अजमेर ने तकनीकी खामियों के आधार पर लेआउट निरस्त कर दिया।
अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि जयपुर में सरकार के स्तर पर क्या निर्णय होता है और मालपुरा की इस बेशकीमती भूमि का भविष्य क्या मोड़ लेता है।

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